Azam Khan: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान मंगलवार को उत्तर प्रदेश के सीतापुर जेल से रिहा हो गए. लगभग 23 महीने तक जेल में रहने के बाद उनकी रिहाई हुई. हालांकि, उनकी रिहाई की प्रक्रिया में सुबह कानूनी अड़चन के कारण देरी हुई. आजम खान की रिहाई मंगलवार सुबह 9 बजे निर्धारित थी. लेकिन एक कानूनी पेचीदगी ने प्रक्रिया को रोक दिया.
जेल सूत्रों के अनुसार, रामपुर की एक अदालत में लंबित मामले में आजम खान पर 3,000 और 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था. यह जुर्माना उन्होंने समय पर नहीं भरा था. इस वजह से सुबह उनकी रिहाई पर रोक लग गई. बाद में, सुबह 10 बजे रामपुर की अदालत खुलने पर जुर्माना जमा किया गया. इसके बाद फैक्स के जरिए सीतापुर जेल को भुगतान की पुष्टि भेजी गई. इसके बाद ही रिहाई की प्रक्रिया पूरी हुई.
आजम खान के बेटे अदीब आजम खान सुबह 9 बजे अपने समर्थकों की बड़ी भीड़ के साथ जेल के गेट पर पहुंचे. समर्थक अपने नेता की रिहाई का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. लेकिन पुलिस ने उन्हें जेल के बाहर ज्यादा देर रुकने की अनुमति नहीं दी. समर्थकों को जेल गेट से हटने के लिए कहा गया. इसके बावजूद, जैसे ही रिहाई की खबर फैली, समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई. आजम खान समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेताओं में से एक हैं. वे रामपुर से कई बार विधायक और सांसद रह चुके हैं. उनके लंबे राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव आए. जेल में बिताए 23 महीनों ने उनके समर्थकों को झकझोर दिया था. उनकी रिहाई से समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार हुआ है. कई समर्थकों का मानना है कि आजम खान अब फिर से सक्रिय राजनीति में लौट सकते हैं.
आजम खान की रिहाई के बाद अब सभी की नजरें उनके अगले कदम पर हैं. क्या वे तुरंत सक्रिय राजनीति में वापसी करेंगे? या फिर कुछ समय अपने परिवार के साथ बिताएंगे? यह सवाल सभी के मन में है. समाजवादी पार्टी के नेताओं ने उनकी रिहाई का स्वागत किया है. पार्टी के कई कार्यकर्ता मानते हैं कि आजम खान का अनुभव और नेतृत्व पार्टी को और मजबूती देगा. आजम खान की रिहाई उत्तर प्रदेश की सियासत में एक अहम घटना है. उनकी वापसी से समाजवादी पार्टी को कितना फायदा होगा, यह समय बताएगा.