Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी चरम पर है. 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में होने वाले मतदान के लिए सभी दल अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं. महागठबंधन और एनडीए के बीच कांटे की टक्कर है, वहीं जन सुराज जैसे नए खिलाड़ी भी मैदान में हैं. मतदाताओं को लुभाने के लिए हर दल बड़े-बड़े वादे कर रहा है.
राजद, कांग्रेस और वीआईपी के महागठबंधन ने सत्ता हासिल करने के लिए कई बड़े वादे किए हैं. जीविका कार्यकर्ताओं को 30,000 रुपये मासिक वेतन वाली स्थायी सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया गया है. इसके अलावा, हर परिवार को सरकारी नौकरी का वादा भी है. महिलाओं के लिए 'माई बहन मान योजना' के तहत 2,500 रुपये मासिक सहायता देने की बात कही गई है. आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से बढ़ाने और निजी शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण लागू करने का वादा भी महागठबंधन का प्रमुख हथियार है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला एनडीए सत्ता बचाने के लिए पुरानी योजनाओं को और मजबूत करने का दावा कर रहा है. 'मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' के तहत महिलाओं को व्यवसाय शुरू करने के लिए 10,000 रुपये की शुरुआती राशि और 2 लाख रुपये तक की अतिरिक्त वित्तीय मदद दी जा रही है. इसके अलावा, हर परिवार को 125 यूनिट मुफ्त बिजली, बेरोजगार स्नातकों को 1,000 रुपये मासिक भत्ता और वृद्धावस्था पेंशन के रूप में 1,100 रुपये देने की योजना पहले से लागू है. एनडीए इन योजनाओं को और प्रभावी ढंग से लागू करने का वादा कर रहा है.
चुनावी मैदान में जन सुराज एक नया चेहरा बनकर उभरा है. इस दल ने शराबबंदी को तुरंत खत्म करने का ऐलान किया है, जो बिहार में एक बड़ा मुद्दा रहा है. इसके अलावा, 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को 2,000 रुपये मासिक सहायता देने का वादा किया गया है. प्रवासियों के लिए एक नया विभाग बनाने, बच्चों की निजी स्कूलों की फीस भरने और सरकारी स्कूलों में सुधार करने की योजना भी जन सुराज के घोषणापत्र में शामिल है. मनरेगा के तहत नकदी फसल उगाने वाले किसानों को श्रम-मुक्त करने और आत्मनिर्भर नागरिकों को 4 प्रतिशत ब्याज पर ऋण देने का वादा भी मतदाताओं को आकर्षित कर रहा है.
चुनावी प्रचार में हर दल मतदाताओं को लुभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहा. लेकिन कुछ वादों पर सवाल भी उठ रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि कई वादे वित्तीय रूप से व्यवहारिक नहीं हैं. फिर भी, बिहार की जनता के सामने रोजगार, शिक्षा और आर्थिक विकास जैसे मुद्दे सबसे अहम हैं. मतदाता यह तय करेंगे कि कौन सा गठबंधन या दल उनके हितों को बेहतर ढंग से पूरा कर सकता है.