बिहार, यूपी और बंगाल समेत पूरे देश में मनाया जाएगा छठ महापर्व, जानें तिथियां, अनुष्ठान और महत्व

Chhath Puja 2025: छठ महापर्व, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है, एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है. दिल्ली और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में भी यह उत्साह के साथ मनाया जाता है.

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Chhath Puja 2025: छठ महापर्व, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है, एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है. दिल्ली और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में भी यह उत्साह के साथ मनाया जाता है. चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व नहाय-खाय से शुरू होकर उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होता है. आइए, छठ पर्व 2025 की तिथियों और अनुष्ठानों पर नजर डालें.

छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है. जिसमें स्नान के बाद सात्विक भोजन बनाया जाता है. लोग आमतौर पर लौकी, चावल और दाल का सेवन करते हैं. यह दिन पवित्रता और आत्म-शुद्धि का प्रतीक है. भक्त अपने मन और शरीर को उपवास के लिए तैयार करते हैं.

क्या है छठ करने का नियम?

महापर्व के दूसरे दिन खरना मनाया जाता है. भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं. जिसके बाद शाम में खीर का प्रसाद बनता है, जिसको ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास शुरू होता है. यह उपवास भक्ति और संयम का प्रतीक है. वहीं षष्ठी तिथि को छठ पर्व का मुख्य दिन माना जाता है. इस दिन भक्त नदी या तालाब के किनारे एकत्र होते हैं. शाम को सूर्यास्त के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है. बांस की टोकरी में फल, ठेकुआ और अन्य प्रसाद सजाकर सूर्य देव को समर्पित किए जाते हैं. 27 अक्टूबर 2025 को सूर्योदय सुबह 06:24 बजे और सूर्यास्त शाम 05:42 बजे होगा. षष्ठी तिथि 27 अक्टूबर को सुबह 04:34 बजे शुरू होकर 28 अक्टूबर को सुबह 06:29 बजे समाप्त होगी. इसके बाद सप्तमी तिथि को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पर्व का समापन होता है. भक्त सूर्योदय के समय जल में खड़े होकर अर्घ्य अर्पित करते हैं. इसके बाद उपवास तोड़ा जाता है. यह क्षण भक्तों के लिए आध्यात्मिक उल्लास और कृतज्ञता का होता है.

पर्व की तारीख 

  • नहाय-खाय: 25 अक्टूबर 2025 (शनिवार, चतुर्थी)  
  • खरना: 26 अक्टूबर 2025 (रविवार,  पंचमी)  
  • सांझ काअर्घ्य: 27 अक्टूबर 2025 (सोमवार,  षष्ठी)  
  • सुबह का अर्घ्य: 28 अक्टूबर 2025 (मंगलवार,  सप्तमी)  

छठ पर्व प्रकृति और सूर्य की उपासना का अनूठा पर्व है. यह परिवार, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना का अवसर है. इस पर्व में स्वच्छता और अनुशासन का विशेष महत्व है. यह समाज में एकता और भक्ति की भावना को मजबूत करता है.
 

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