दिल्ली में प्रदूषण का कहर, AQI 400 के पार! सरकार ने उठाए कदम

Delhi AQI: दिवाली की रौनक के बाद दिल्ली की हवा जहरीली हो गई है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, गुरुवार सुबह आनंद विहार में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 429 तक पहुंच गया, जो 'गंभीर' श्रेणी में आता है.

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Courtesy: X (@Ladakhism)

Delhi AQI: दिवाली की रौनक के बाद दिल्ली की हवा जहरीली हो गई है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, गुरुवार सुबह आनंद विहार में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 429 तक पहुंच गया, जो 'गंभीर' श्रेणी में आता है. पिछले दिन यह 360 था. आईटीओ (353), आरके पुरम (362), द्वारका सेक्टर 8 (327), अशोक विहार (350), बवाना (346), नेहरू नगर (377) और पटपड़गंज (361) जैसे इलाकों में AQI 'बेहद खराब' रहा. यह स्तर स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए.  

दिवाली के दौरान पटाखों से निकला धुआं और धूल दिल्ली की हवा को और जहरीला बना रहा है. पराली जलाने, वाहनों के उत्सर्जन और शांत मौसम ने भी प्रदूषण को बढ़ाया है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि लोग बाहर कम निकलें. बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारी वालों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. मास्क पहनना और घर में रहना सुरक्षित है.  

GRAP का दूसरा चरण लागू

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम वर्षा की योजना बनाई है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के साथ मिलकर इसके लिए काम शुरू हो गया है. बादल और नमी की सही स्थिति मिलने पर इसे लागू किया जाएगा. साथ ही, सरकार ने 2027 तक 10,000 इलेक्ट्रिक बसें चलाने का लक्ष्य रखा है. इससे वाहनों से होने वाला प्रदूषण कम होगा. वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने 19 अक्टूबर से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का दूसरा चरण लागू किया है. इसके तहत सड़कों पर पानी का छिड़काव और धूल नियंत्रण पर जोर दिया जा रहा है. यातायात वाले और संवेदनशील इलाकों में यह विशेष रूप से लागू है. एकत्रित धूल का सही निपटान भी अनिवार्य है.  

दिल्ली में हर साल प्रदूषण की समस्या

प्रदूषण का स्तर खतरनाक बना हुआ है. लोगों को बाहर निकलते समय मास्क पहनना चाहिए. हवा के संपर्क में कम से कम आना जरूरी है. खासकर सुबह और शाम के समय, जब प्रदूषण ज्यादा होता है, बाहर जाने से बचें. घर में हवा शुद्ध करने वाले यंत्रों का उपयोग भी फायदेमंद हो सकता है. सरकार के प्रयासों के साथ-साथ नागरिकों को भी जिम्मेदारी लेनी होगी. पेड़ लगाना, वाहनों का कम उपयोग और पटाखों से परहेज जैसे कदम इस समस्या को कम कर सकते हैं. स्वच्छ हवा के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा.  

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