Punjab News: पंजाब में पराली जलाने और प्रदूषण के खिलाफ जो काम हुआ है, वह अब पूरे देश के लिए मिसाल बन चुका है. 2022 में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस मुद्दे को न केवल पर्यावरणीय समस्या बल्कि पंजाब के भविष्य का बड़ा सवाल माना और इसे प्राथमिकता दी. मान सरकार ने साफ कर दिया कि अब पंजाब की हवा धुएं से नहीं घुटेगी.
पिछले सालों की तुलना में 2025 में पराली जलाने के मामलों में भारी गिरावट आई है. जहां 2021 में पराली जलाने के 4,327 मामले दर्ज हुए थे, वहीं 2025 में यह संख्या घटकर केवल 415 रह गई है, जो करीब 90% की कमी दर्शाती है. यह साबित करता है कि सरकार ने इस समस्या को कितनी गंभीरता से लिया और जमीनी स्तर पर प्रभावी कार्रवाई की.
गांव-गांव में बनाई गईं टीमें
मान सरकार ने इस मुद्दे को फाइलों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि हर जिले में अभियान चलाकर किसानों को समाधान की दिशा में प्रेरित किया. किसानों को हजारों क्रशर मशीनें (CRM) उपलब्ध कराई गईं ताकि वे पराली को खेत में दबाकर मिट्टी में मिलाएं, जिससे आग लगाने की जरूरत न पड़े. गांव-गांव में टीमें बनाई गईं और अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई कि वे सुनिश्चित करें कि पराली जलाने की घटनाएं न हों.
विशेष रूप से संगरूर, बठिंडा और लुधियाना जैसे जिले, जहां पराली जलाने की समस्या अधिक थी, वहां मामलों में भारी कमी आई है. कई इलाकों में पराली जलाने की घटनाएं लगभग शून्य हो गई हैं.
इस अभियान का असर न केवल खेतों पर, बल्कि हवा की गुणवत्ता पर भी दिखा. अक्टूबर 2025 में लुधियाना, पटियाला और अमृतसर जैसे जिलों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) पिछले वर्षों की तुलना में 25 से 40 प्रतिशत तक सुधरा. इसका सकारात्मक प्रभाव दिल्ली-एनसीआर की हवा पर भी पड़ा.
पराली से खाद और ऊर्जा भी बना रहे
सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह रहा कि इस अभियान में किसानों को दुश्मन नहीं, बल्कि सहयोगी बनाया गया. सरकार ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वे अकेले नहीं हैं. किसान भी आगे आए और पराली प्रबंधन के लिए मशीनों का व्यापक उपयोग किया. कई गांवों में किसान मिलकर पराली से खाद और ऊर्जा भी बना रहे हैं. अब पराली जलाने की जगह खेती और पर्यावरण को साथ लेकर चलने की नई सोच विकसित हो रही है.
मान सरकार ने यह दिखाया कि अगर नीयत सच्ची हो तो वर्षों पुरानी समस्या भी हल हो सकती है. पंजाब का यह मॉडल पूरे देश के लिए प्रेरणा बन गया है, जहां पराली अब प्रदूषण का कारण नहीं, बल्कि बदलाव की ताकत है.