Bihar Mahagathbandhan Clash: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में गहरी दरारें उजागर हो रही हैं. उम्मीदवारों की सूची के विश्लेषण से पता चला है कि 11 सीटों पर महागठबंधन के घटक दल एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. यह स्थिति विपक्षी एकता को कमजोर कर रही है और एनडीए को फायदा पहुंचा सकती है.
महागठबंधन में सीट बंटवारे पर फैसला फाइनल नहीं हो पाया. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस छह सीटों वैशाली, सिकंदरा, कहलगाँव, सुल्तानगंज, नरकटियागंज और वारसलीगंज पर आमने-सामने हैं. इसके अलावा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और कांग्रेस चार सीटों बछवाड़ा, राजापाकर, बिहारशरीफ और करगहर में एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतार चुके हैं. विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और राजद भी चैनपुर सीट पर टकराव की स्थिति में हैं.
सोमवार को राजद ने 143 उम्मीदवारों की सूची जारी की, जिसमें छह ऐसी सीटें शामिल हैं, जहाँ कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवार घोषित किए हैं. इस कदम ने महागठबंधन के भीतर असमंजस को और बढ़ा दिया है. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह स्थिति विपक्षी वोटों को बांट सकती है, जिसका सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले एनडीए को मिल सकता है. दूसरे चरण के लिए नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख 23 अक्टूबर है. इस तारीख तक कुछ अनिश्चितता दूर होने की उम्मीद है. हालांकि, 20 अक्टूबर को नामांकन की अंतिम तारीख समाप्त होने के बावजूद, महागठबंधन ने सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा नहीं की है. लंबी बैठकों और गुप्त वार्ताओं के बाद भी गठबंधन में एकता की कमी साफ दिख रही है.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महागठबंधन की यह आंतरिक खींचतान विपक्षी वोटों को बांट सकती है. इससे कई सीटों पर एनडीए को आसान जीत मिल सकती है. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने भी इस स्थिति पर तंज कसा. उन्होंने कहा कि महागठबंधन की आपसी फूट ने कई चुनौतीपूर्ण सीटों पर एनडीए की जीत को आसान कर दिया है. बिहार में पहले चरण का चुनाव नजदीक है, लेकिन महागठबंधन की एकता अब तक कायम नहीं हो सकी. विपक्षी दलों के बीच समन्वय की कमी और सीट बंटवारे को लेकर असहमति ने उनकी स्थिति को कमजोर किया है. यदि गठबंधन जल्द ही इस संकट का समाधान नहीं ढूंढता, तो इसका खामियाजा उसे चुनावी नतीजों में भुगतना पड़ सकता है.