Bihar SIR: भारत के चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूचियों के एसआईआर प्रक्रिया के दौरान नागरिकता का प्रमाण मांगने के अपने फैसले का बचाव किया है. आयोग ने कहा कि केवल भारतीय नागरिक ही मतदाता के रूप में पंजीकृत हो सकते हैं. यह प्रक्रिया मतदाता सूचियों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई है.
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा कि एसआईआर प्रक्रिया कानून के दायरे में है. यह जनता का विश्वास बढ़ाने और मतदाता सूचियों की अखंडता बनाए रखने के लिए है. आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची से नाम हटने से किसी की नागरिकता समाप्त नहीं होगी. नागरिकता अधिनियम की धारा 9 इस प्रक्रिया पर लागू नहीं होती.
आयोग ने कहा कि आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी), और राशन कार्ड को नागरिकता के प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा. आधार केवल पहचान का प्रमाण है, न कि नागरिकता का. नकली राशन कार्डों के व्यापक उपयोग के कारण इसे भी मान्य दस्तावेज नहीं माना गया. ईपीआईसी पुरानी मतदाता सूची का हिस्सा है, इसलिए यह नए सत्यापन का आधार नहीं हो सकता. एसआईआर प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया. यह 10 जुलाई के कोर्ट के निर्देश के बाद किया गया. आयोग ने अदालत से प्रक्रिया को रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज करने की अपील की. आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया मतदाताओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करती.
चुनाव आयोग ने लगभग 44 लाख ऐसे मतदाताओं के नामों की सूची शेयर की है, जो अपने पते पर रहते ही नहीं है. वहीं लगभग 30 लाख ऐसे मतदाता हैं, जिनके गणना फॉर्म अभी तक प्राप्त नहीं हुए हैं. इसके अलावा आयोग ने 12 पार्टियों को अपने बूथ-स्तरीय एजेंटों के जरिए मतदाताओं से संपर्क करने को कहा है, जिससे की यह कि तय किया जा सके कि कोई मतदाता छूट ना जाए. चुनाव आयोग ने कहा कि मतदाता सूची का मसौदा 1 अगस्त को प्रकाशित होगा. आयोग मिशन मोड में काम कर रहा है ताकि मतदाता सूची पूरी तरह सटीक हो. आयोग का लक्ष्य है कि बिहार में स्वच्छ और विश्वसनीय मतदाता सूची तैयार हो.