Pandit Chhannulal Mishra: शास्त्रीय संगीत के दिग्गज पंडित छन्नूलाल मिश्र का आज सुबह 4:00 बजे उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में निधन हो गया. 89 वर्षीय यह गायक लंबे समय से बीमार थे. उनकी बेटी नम्रता मिश्रा ने उनके निधन की पुष्टि की. इस खबर ने संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ा दी.
पंडित छन्नूलाल मिश्र को हृदय संबंधी समस्याओं, हीमोग्लोबिन की कमी और बिस्तर पर पड़े घावों के कारण हाल ही में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सर सुंदरलाल अस्पताल के आईसीयू में भर्ती किया गया था. कई महीनों से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी. चिकित्सकों की तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका.
पंडित मिश्र का पार्थिव शरीर आज दोपहर मिर्जापुर से वाराणसी लाया जाएगा. उनका अंतिम संस्कार आज रात मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा. यह घाट वाराणसी के सबसे पवित्र श्मशान स्थलों में से एक है. उनके परिवार, शिष्यों और प्रशंसकों की भीड़ अंतिम दर्शन के लिए मौजूद रहेगी. पंडित छन्नूलाल मिश्र बनारस घराने के महान गायक थे. ख्याल, ठुमरी और भजनों में उनकी गायकी ने उन्हें देश-विदेश में ख्याति दिलाई. उनकी गायन शैली में भक्ति और भावनाओं का अनूठा संगम था. उनकी प्रस्तुतियां श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देती थीं. उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया.
पंडित मिश्र को उनके अतुलनीय योगदान के लिए भारत सरकार ने पद्म विभूषण से सम्मानित किया था. यह देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है. इसके अलावा, उन्हें कई अन्य पुरस्कारों से भी नवाजा गया. उनकी कला ने भारतीय सांस्कृतिक विरासत को विश्व मंच पर गौरवान्वित किया. पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है. उनके सहकर्मी और शिष्य उन्हें एक गुरु, प्रेरणास्रोत और सांस्कृतिक धरोहर के रक्षक के रूप में याद करते हैं. उनके गायन में भक्ति और अनुशासन की झलक साफ दिखती थी. संगीत प्रेमी उनके योगदान को हमेशा संजोकर रखेंगे. पंडित मिश्र ने न केवल अपनी गायकी से, बल्कि अपने शिष्यों को दिए गए ज्ञान से भी संगीत की परंपरा को जीवंत रखा. उनकी शिक्षाएं और रचनाएं नई पीढ़ी के संगीतकारों को प्रेरित करती रहेंगी. उनके निधन से एक युग का अंत हो गया, लेकिन उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी.