भारतीय राजनीति में भी दोस्ती के कई मिसाल, फ्रेंडशिप डे पर पढ़े पुराने किस्से

फ्रेंडशिप डे पर भारतीय राजनीति में गठबंधन और साझेदारियां आम हैं, लेकिन कुछ दोस्तियां केवल सियासत से बढ़कर देश के लिए प्रेरणा बन गईं.

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Courtesy: Social Media

Friendship in Indian Politics: फ्रेंडशिप डे के मौके पर भारतीय राजनीतिज्ञों की दोस्ती के बारे में जानते हैं. भारतीय राजनीति में गठबंधन और साझेदारियां आम हैं, लेकिन कुछ दोस्तियां केवल सियासत से बढ़कर देश के लिए प्रेरणा बन गईं.

आइए, इस फ्रेंडशिप डे पर अटल बिहारी वाजपेयी-लालकृष्ण आडवाणी, नरेंद्र मोदी-अमित शाह और सुप्रिया सुले-अनुप्रिया पटेल समेत अन्य नेताओं की दोस्ती की कहानी को फिर से याद करते हैं. 

वाजपेयी और आडवाणी की अटूट दोस्ती 

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नींव रखने वाले अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की दोस्ती भारतीय राजनीति की मिसाल है. वाजपेयी की वाकपटुता और करिश्मे ने जनता का दिल जीता, तो आडवाणी की रणनीति और संगठन कौशल ने पार्टी को मज़बूत किया. दोनों ने मिलकर 1980 में भाजपा का गठन किया और उसे देश की सबसे बड़ी ताकत बनाया. उनका रिश्ता विश्वास और सम्मान पर टिका था. चाहे हिंदुत्व का मुद्दा हो या जनता पार्टी का विभाजन, दोनों ने हर चुनौती में एक-दूसरे का साथ दिया. वाजपेयी पार्टी का चेहरा बने, तो आडवाणी ने पर्दे के पीछे नींव मज़बूत की. उनकी दोस्ती ने दिखाया कि सच्चा सौहार्द राजनीति की उथल-पुथल में भी कायम रह सकता है.

मोदी और शाह की अजेय साझेदारी

भारतीय राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी भी मिसाल दी जाती है. गुजरात से दिल्ली तक, उनकी साझेदारी ने भाजपा को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाया. मोदी और शाह की हिट जोड़ी ने भारत की राजनीति में 2014 में बड़ा बदलाव लाया. आरएसएस से शुरू हुआ उनका रिश्ता विश्वास और निष्ठा पर टिका है. नोटबंदी से लेकर अनुच्छेद 370 हटाने जैसे बड़े फ़ैसलों में दोनों ने एक-दूसरे का पूरा साथ दिया. उनकी दोस्ती सिर्फ़ सियासत तक सीमित नहीं, बल्कि यह देश के भविष्य के लिए साझा दृष्टिकोण का प्रतीक है.

सुप्रिया सुले और अनुप्रिया पटेल

सुप्रिया सुले और अनुप्रिया पटेल की दोस्ती युवा नेतृत्व का शानदार उदाहरण है. शरद पवार की बेटी सुप्रिया ने महाराष्ट्र में अपनी पहचान बनाई, तो अनुप्रिया पटेल ने उत्तर प्रदेश में प्रभाव जमाया. दोनों एनडीए के तहत एकजुट हुईं और गठबंधन को मज़बूत करने में जुटीं. उनकी दोस्ती आपसी समर्थन और देश के लिए साझा सपनों पर आधारित है. 

बालासाहेब ठाकरे और शरद पवार

शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे और शरद पवार की दोस्ती अनोखी थी. वैचारिक मतभेदों के बावजूद, दोनों ने 1960 से चले आ रहे अपने रिश्ते को बनाए रखा. ठाकरे का हिंदू राष्ट्रवाद और पवार का क्षेत्रवादी थे, लेकिन आपसी सम्मान ने दोनों की दोस्ती को जिंदा रखा. ठाकरे के निधन पर पवार की श्रद्धांजलि ने उनकी दोस्ती की गहराई दिखाई. 

निशिकांत दुबे और असदुद्दीन ओवैसी का अनूठा बंधन

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी की दोस्ती वैचारिक मतभेदों को पार करती है. दोनों के विचार अलग हैं, फिर भी उनकी मित्रता मज़बूत है. दुबे ने ओवैसी को संसद में अपना करीबी दोस्त बताया. दोनों ने ऑपरेशन सिंदूर जैसे मौकों पर साथ काम भी किया. उनकी दोस्ती सिखाती है कि सियासत से परे भी रिश्ते पनप सकते हैं.

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