एयर इंडिया दुर्घटना में जीवित बचे एकमात्र व्यक्ति का कैसा बीत रहा जीवन? खुद बयां किया दर्द

एयर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान 12 जून को दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, इस हादसे में 241 लोग मारे गए. इनमें विश्वाशकुमार रमेश का भाई अजयकुमार भी शामिल था.

Date Updated
फॉलो करें:
Courtesy: X (@citizen_kau)

नई दिल्ली: एयर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान 12 जून को दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, इस हादसे में 241 लोग मारे गए. इनमें विश्वाशकुमार रमेश का भाई अजयकुमार भी शामिल था.

रमेश सीट 11ए पर बैठे थे जो आपातकालीन द्वार के पास थी. वे विमान से कूदकर बच गए. लेकिन यह बचाव उनके लिए खुशी नहीं बल्कि दर्द बन गया. अब वे अपने भाई के नुकसान और सदमे से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं.

दुर्घटना के बाद सदमे में रमेश

भाई के साथ वे भारत में मछली पकड़ने का व्यवसाय चला रहे थे. इसके लिए अपनी सारी बचत लगा दी थी. दोनों अक्सर यूके से भारत आते जाते थे. लेकिन हादसे ने सब कुछ छीन लिया. यूके और भारत दोनों जगह परिवार की कोई आय नहीं बची.अब व्यवसाय बंद हो गया. दुर्घटना के बाद रमेश को गहरी चोटें आईं. घुटने, कंधे और पीठ में दर्द रहता है. बाएं हाथ में इतना जलन होता है कि पत्नी को नहाने में मदद करनी पड़ती है.

मानसिक रूप से वे पूरी तरह टूट चुके हैं. साक्षात्कार में वे लड़खड़ाते और चुप रहते दिखे. विमान के बारे में बात करना उनके लिए बहुत दर्दनाक है. स्काई न्यूज़ ने उनके हवाले से कहा कि विमान के बारे में बात करना बहुत दर्दनाक है. अस्पताल में वे भाई को ढूंढते रहे, चारों ओर लाशें देखीं. अब वे कहते हैं कि दुर्घटना ने उन्हें बहुत टूटा हुआ महसूस कराया है. परिवार के बाकी सदस्य भी यही महसूस करते हैं.

बेटे से दूरी और परिवार का संघर्ष

साक्षात्कार में लीसेस्टर समुदाय के नेता संजीव पटेल और सलाहकार रैड सीगर मौजूद थे. उन्होंने बताया कि परिवार को कई चीजों की जरूरत है, शुरुआत वित्तीय मदद से हो सकती है. लेकिन अभी तक मिली मदद काफी नहीं है. एयर इंडिया ने रमेश को 21500 पाउंड का अंतरिम भुगतान दिया. यह करीब 21 लाख रुपये है. कंपनी का कहना है कि रमेश ने इसे स्वीकार कर लिया और पैसा दे दिया गया, लेकिन सलाहकार सीगर कहते हैं कि यह राशि जरूरतों के सामने कुछ नहीं है. रमेश काम नहीं कर पाते. घर से बाहर नहीं निकलते. उन्हें भोजन चिकित्सा मानसिक मदद और बेटे की देखभाल के लिए सहारे की जरूरत है. 

Tags :