'आतंकवाद के खिलाफ हम साथ', अमेरिका द्वारा TRF को आतंकवादी संगठन घोषित करने पर भारत ने किया स्वागत

अमेरिका द्वारा टीआरएफ को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित करने के बाद भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को अमेरिका के इस फैसले का खुल कर स्वागत किया. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि टीआरएफ को आतंकवादी संगठन घोषित करने के लिए मार्को रुबियो और अमेरिकी विदेश विभाग को धन्यवाद.

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Courtesy: Social Media

India after US Designated TRF as Terrorist: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले के बाद, अमेरिका ने द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को विदेशी आतंकवादी संगठन (एफटीओ) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) घोषित किया है. भारत ने अमेरिका के इस फैसले का खुले दिल से स्वागत किया.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को अमेरिका के इस कदम की सराहना की. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि टीआरएफ को आतंकवादी संगठन घोषित करने के लिए मार्को रुबियो और अमेरिकी विदेश विभाग को धन्यवाद. आतंकवाद के प्रति हमारी नीति शून्य सहिष्णुता है. इसके बाद उन्होंने हैस्टैग सिंदूर का लिखा. 

आतंकवाद के खिलाफ भारत-अमेरिका एक

टीआरएफ ने पहलगाम में आतंकी हमला किया. जिसमें कई पर्यटक और कई सुरक्षाकर्मी भी शहीद हुए. अमेरिका ने पहलगाम में हुए इस हमले को 2008 मुंबई हमलों के बाद का भारत में सबसे घातक हमला बताया. टीआरएफ को लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का मुखौटा माना जाता है, जो एक पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन है. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने टीआरएफ को लश्कर का प्रतिनिधि करार दिया. उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई ट्रम्प प्रशासन की राष्ट्रीय सुरक्षा और पहलगाम हमले के लिए न्याय सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है. अमेरिकी विदेश विभाग ने बताया कि टीआरएफ ने पिछले एक साल में भारतीय सुरक्षा बलों पर कई हमलों की जिम्मेदारी ली है.

ऑपरेशन सिंदूर में आतंकी ठिकानों को निशाना

पहलगाम हमले के बाद भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया. जिसमें पाकिस्तान में स्थित 9 आतंकी संगठनों को निशाना बनाया गया. भारतीय सुरक्षा बलों ने 100 से ज्यादा आतंकवादियों को मार गिराया. जवाब में पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइलों से हमले किए, लेकिन भारत ने इन घुसपैठों को नाकाम कर दिया. 10 मई को इस्लामाबाद ने युद्धविराम का अनुरोध किया. दोनों पक्षों ने युद्धविराम पर सहमति जताई. भारत ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटाने के लिए 33 देशों में सात प्रतिनिधिमंडल भेजे. इनका उद्देश्य पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी समूहों को कथित समर्थन की जानकारी देना था. भारतीय दूतावास ने अमेरिका के फैसले को आतंकवाद-रोधी सहयोग का मजबूत उदाहरण बताया.

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