इसरो ने 100 अंक प्राप्त किए, पीएसएलवी ने अंतरिक्ष में सर्वाधिक यात्राएं कर बाजी मारी

श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश): भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को अपने 100वें मिशन के साथ एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की और पांच वर्षों में अगले 100 प्रक्षेपणों को पार करने की महत्वाकांक्षी भविष्य की योजना का खुलासा किया.

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Courtesy: Social Media

श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश): भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को अपने 100वें मिशन के साथ एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की और पांच वर्षों में अगले 100 प्रक्षेपणों को पार करने की महत्वाकांक्षी भविष्य की योजना का खुलासा किया.

1979 में एस.एल.वी. से शुरुआत करते हुए अंतरिक्ष एजेंसी ने 46 वर्षों के बाद 100 मिशनों का आंकड़ा पार किया, लेकिन सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि इन वर्षों में पी.एस.एल.वी. का दबदबा कायम रहा, जिसने 62 मिशन भेजे.

पीएसएलवी की बेजोड़ विश्वसनीयता

पीएसएलवी ने अपनी विश्वसनीयता और सफलता के कारण इसरो का सबसे भरोसेमंद रॉकेट बनने का गौरव प्राप्त किया है. इसे भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसने अंतरिक्ष में कई महत्वपूर्ण उपग्रहों को भेजा है और अपनी स्थिरता और प्रभावशीलता से दुनिया भर में ख्याति प्राप्त की है.

इसरो का यह ऐतिहासिक प्रयास और पीएसएलवी की सफलता भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई है, जो भविष्य में भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान और प्रक्षेपण में और भी अग्रणी बनाएगा.

भविष्य के मिशन और योजना

इसरो अब अगले 100 मिशनों के लक्ष्य को लेकर काम कर रहा है और इसके तहत अगले पांच वर्षों में नई तकनीकों के साथ कई बड़े प्रक्षेपण करने की योजना बनाई गई है. इसरो के द्वारा नई परियोजनाओं पर काम चल रहा है, जिसमें चंद्रयान-3 और आदित्य-एल1 जैसी योजनाएं शामिल हैं.

(इस खबर को भारतवर्ष न्यूज की टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है)

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