'मैंने कन्या वध किया है मुझे...', बेटी की हत्या करने के बाद पिता ने मांगी फांसी की सजा

पुलिस पूछताछ में दीपक ने बताया कि उन्हें समाज के ताने सुनने पड़ रहे थे. लोग कहते थे कि वह अपनी बेटी की कमाई पर जी रहे हैं. इससे उनकी मानसिक स्थिति बिगड़ गई थी. दीपक ने कहा कि मुझे अपमानित महसूस हुआ. मैं पिछले 15 दिनों से अवसाद में था.

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Courtesy: Social Media

Radhika Yadav: गुरुग्राम में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे शहर को झकझोर दिया है. टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव के पिता दीपक यादव ने अपने ही बेटी की गोली मारकर हत्या कर दी. पुलिस जांच में सामने आए तथ्य चौंकाने वाले हैं. दीपक ने अपराध स्वीकार करते हुए फांसी की सजा की मांग की है.

गुरुग्राम के एक तीन मंजिला घर में 10 जुलाई को यह भयावह घटना घटी. राधिका अपनी रसोई में खाना बना रही थीं, तभी उनके पिता दीपक ने उनकी पीठ में तीन गोलियां दाग दीं. जिससे राधिका की मौत हो गई. पुलिस के अनुसार, राधिका अपनी टेनिस अकादमी चलाती थीं और एक उभरती हुई खिलाड़ी थीं. इस घटना ने उनके परिवार और प्रशंसकों को गहरे सदमे में डाल दिया है.

सदमे या पछतावे की स्थिति में पिता 

पुलिस पूछताछ में दीपक ने बताया कि उन्हें समाज के ताने सुनने पड़ रहे थे. लोग कहते थे कि वह अपनी बेटी की कमाई पर जी रहे हैं. इससे उनकी मानसिक स्थिति बिगड़ गई थी. दीपक ने कहा कि मुझे अपमानित महसूस हुआ. मैं पिछले 15 दिनों से अवसाद में था. जांचकर्ताओं के मुताबिक, दीपक ने बहुत कम जानकारी दी और वह सदमे या पछतावे की स्थिति में दिखाई दिए. राधिका के चाचा विजय यादव ने बताया कि दीपक ने रिश्तेदारों से मिलने के बाद रोते हुए कहा कि मैंने कन्या वध किया है. मुझे फांसी दे दो. पुलिस थाने में भी दीपक ने यही बात दोहराई. जांचकर्ताओं का कहना है कि दीपक ने अपने अपराध को स्वीकार किया, लेकिन सवालों के जवाब कम दिए.

मां को मिली क्लीन चिट

राधिका की मां मंजू यादव को पुलिस ने इस मामले से क्लीन चिट दे दी है. गुरुग्राम पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी संदीप कुमार ने बताया कि मंजू को दीपक की योजना के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. वह गोलीबारी के समय मौके पर भी नहीं थीं. शुरुआती शक के बाद जांच में पाया गया कि इस हत्या में दीपक ने अकेले ही भूमिका निभाई. राधिका की हत्या ने खेल जगत और स्थानीय समुदाय को स्तब्ध कर दिया है. एक होनहार टेनिस खिलाड़ी का इस तरह अंत होना सभी के लिए दुखद है. लोग इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि सामाजिक ताने और मानसिक दबाव किसी को इस हद तक ले जा सकते हैं.

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