Vice President Security: केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) अब भारत के उपराष्ट्रपति की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेगा. समाचार एजेंसी एएनआई के सूत्रों के अनुसार, सीआरपीएफ को जेड+ श्रेणी के तहत उपराष्ट्रपति की कड़ी सुरक्षा का दायित्व सौंपा गया है. यह फैसला गृह मंत्रालय ने इंटेलिजेंस ब्यूरो की जानकारी के आधार पर लिया है.
सीआरपीएफ की विशिष्ट वीआईपी सुरक्षा विंग के सशस्त्र कमांडो उपराष्ट्रपति की सुरक्षा करेंगे. गृह मंत्रालय ने मौखिक आदेश जारी कर दिया है, लेकिन लिखित अधिसूचना का इंतजार है. सूत्रों का कहना है कि सीआरपीएफ बुधवार तक यह जिम्मेदारी संभाल सकता है. यह कदम देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद की सुरक्षा को और मजबूत करेगा.
नए प्रोटोकॉल के तहत, दिल्ली पुलिस बाहरी सुरक्षा, प्रवेश नियंत्रण और परिधि जांच का काम जारी रखेगी. वहीं, सीआरपीएफ उपराष्ट्रपति के नजदीकी सुरक्षा कर्तव्यों को संभालेगी. यह व्यवस्था खतरों के नए आकलन के बाद लागू की जा रही है. गृह मंत्रालय ने सुरक्षा को और प्रभावी बनाने के लिए यह कदम उठाया है. जेड+ सुरक्षा भारत की सबसे उच्च स्तरीय सुरक्षा व्यवस्थाओं में से एक है. इसमें 55 से अधिक सशस्त्र कर्मी शामिल होते हैं, जिनमें कमांडो, एस्कॉर्ट्स और सहायक कर्मचारी होते हैं. ये कर्मी आतंकवाद-रोधी अभियानों, निकट युद्ध और उच्च-खतरे की स्थिति में प्रशिक्षित होते हैं. यह सुरक्षा कवर खास तौर पर शीर्ष गणमान्य व्यक्तियों के लिए होता है.
यह बदलाव संशोधित ब्लू बुक प्रोटोकॉल का हिस्सा है. ब्लू बुक शीर्ष संवैधानिक पदाधिकारियों की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश तय करता है. सीआरपीएफ पहले से ही कई उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों की सुरक्षा संभाल रही है. अब उपराष्ट्रपति की सुरक्षा भी इसी व्यवस्था का हिस्सा होगी. हाल ही में सीपी राधाकृष्णन भारत के 15वें उपराष्ट्रपति चुने गए हैं. उन्होंने 452 वोटों के साथ जीत हासिल की, जबकि विपक्षी उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले. रिटर्निंग ऑफिसर पीसी मोदी के अनुसार, राधाकृष्णन के पक्ष में कुछ क्रॉस-वोटिंग भी हुई. भाजपा नेताओं का दावा है कि कम से कम 15 विपक्षी सदस्यों ने एनडीए उम्मीदवार को वोट दिया. राधाकृष्णन का समृद्ध राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव उनकी भूमिका को और मजबूत करेगा. उपराष्ट्रपति की सुरक्षा में यह बदलाव देश की सुरक्षा व्यवस्था में सुधार का हिस्सा है. सीआरपीएफ की विशेषज्ञता और अनुभव से उपराष्ट्रपति को उच्च स्तर की सुरक्षा मिलेगी. यह कदम न केवल उपराष्ट्रपति की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा, बल्कि देश की संवैधानिक व्यवस्था में विश्वास भी बढ़ाएगा.