Ladakh Domicile Polices: केंद्र सरकार ने लद्दाख के लिए ऐतिहासिक निर्णय लिया है. आज यानी 3 जून 2025 को नई आरक्षण और अधिवास नीति लागू की गई. यह नीति स्थानीय लोगों की मांगों को पूरा करती है. इसमें 85% सरकारी नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित होंगी. साथ ही, स्वायत्त परिषदों में महिलाओं को एक तिहाई सीटें मिलेंगी.
नई नीति के मुताबिक लद्दाख में 85% सरकारी नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए होंगी. अधिवास के लिए दो शर्तें हैं. पहला, व्यक्ति को 15 साल तक लद्दाख में रहना होगा. या फिर 7 सालों तक स्थानीय स्कूलों में पढ़ाई कर कक्षा 10 या 12 की परीक्षा में शामिल होना होगा.
केंद्र सरकार, अखिल भारतीय सेवाओं, पीएसयू या स्वायत्त निकायों में 10 साल तक लद्दाख में सेवा देने वाले कर्मचारियों के बच्चे भी इस सुविधा के पात्र होंगे. आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए 10% कोटा यथावत रहेगा. लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (LAHDC) अधिनियम, 1997 में बदलाव हुआ है. अब परिषद में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. ये सीटें निर्वाचन क्षेत्रों के बीच बारी-बारी से बदलेंगी. यह कदम लद्दाख में महिलाओं को सशक्त बनाएगा.
यह नीति लद्दाख के लोगों की लंबी मांग का नतीजा है. 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद सांस्कृतिक और जनसांख्यिकीय चिंताएं बढ़ी थीं. अक्टूबर 2024 में जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने दिल्ली में अनशन शुरू किया. उन्होंने संवैधानिक सुरक्षा की मांग की. जनवरी 2023 में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता में समिति बनी. कई सारी बैठक में बातचीत के बाद इस फैसले पर सहमति बनी है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह नीति जन दबाव का परिणाम है. यह लद्दाख की पहचान और संस्कृति की रक्षा करेगी. साथ ही इससे स्थानिय क्षेत्र का आर्थिक और सामाजिक विकास भी होगा. स्थानीय लोगों को नौकरियों में प्राथमिकता मिलने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.लद्दाख के नागरिक समाज ने इस बदलाव में अहम भूमिका निभाई. उनकी मांगों ने सरकार को यह कदम उठाने के लिए प्रेरित किया. यह नीति क्षेत्र की विशिष्टता को बनाए रखेगी.