एनआईटी-राउरकेला ने अत्याधुनिक यातायात प्रबंधन समाधान विकसित किया

नयी दिल्ली: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी)-राउरकेला के शोधकर्ताओं ने विकासशील देशों में यातायात प्रबंधन में सुधार के उद्देश्य से एक कृत्रिम बुद्धिमता(एआई)-आधारित ‘मल्टी-क्लास व्हीकल डिटेक्शन’ (एमसीवीडी) मॉडल और एक ‘लाइट फ्यूजन बाई-डायरेक्शनल फीचर पिरामिड नेटवर्क’ (एलएफबीएफपीएन) उपकरण विकसित किया है.

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Courtesy: Social Media

नयी दिल्ली: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी)-राउरकेला के शोधकर्ताओं ने विकासशील देशों में यातायात प्रबंधन में सुधार के उद्देश्य से एक कृत्रिम बुद्धिमता(एआई)-आधारित ‘मल्टी-क्लास व्हीकल डिटेक्शन’ (एमसीवीडी) मॉडल और एक ‘लाइट फ्यूजन बाई-डायरेक्शनल फीचर पिरामिड नेटवर्क’ (एलएफबीएफपीएन) उपकरण विकसित किया है.

एनआईटी-राउरकेला के इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग (ईसीई) विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर संतोष कुमार दास के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की टीम ने ‘इंटेलिजेंट व्हीकल डिटेक्शन’ (आईवीडी) प्रणाली का लाभ उठाया है, जो छवियों और वीडियो में वाहनों की पहचान करने के लिए कंप्यूटर विजन का इस्तेमाल करती है.

यह प्रणाली यातायात प्रवाह को अनुकूलतम बनाने, भीड़भाड़ को कम करने तथा भविष्य में सड़क नियोजन में सहायता के लिए वास्तविक समय यातायात डेटा एकत्र करती है.

इस शोध के निष्कर्ष प्रतिष्ठित पत्रिका आईईईई ट्रांजेक्शन ऑन इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम्स में प्रकाशित हुए हैं.

दास के अनुसार, व्यवस्थित यातायात वाले विकसित देशों में आईवीडी प्रणालियां अच्छा प्रदर्शन करती हैं, लेकिन मिश्रित यातायात वाले विकासशील देशों में उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.

भारत जैसे देशों में विभिन्न प्रकार के वाहन - कार, ट्रक से लेकर साइकिल, रिक्शा, पशुगाड़ियां और पैदल यात्री - अक्सर एक-दूसरे के बहुत करीब चलते हैं, जिससे वाहनों की सटीक स्थिति का पता लगाना मुश्किल हो जाता है.

उन्होंने कहा, ‘‘ पारंपरिक आईवीडी विधियां, जिनमें रडार और लाइट डिटेक्शन जैसी सेंसर प्रणालियां शामिल हैं, व्यवस्थित वातावरण में तो प्रभावी हैं, लेकिन धूल या बारिश जैसी प्रतिकूल मौसम स्थितियों में बहुत प्रभावी नहीं होती हैं. इसके अलावा, इन प्रणालियों को स्थापित करना महंगा है. वीडियो-आधारित प्रणालियां, विशेष रूप से भारत के लिए अधिक आशाजनक हैं, लेकिन पारंपरिक वीडियो प्रसंस्करण तकनीकें तेज गति वाले यातायात के मामले में बहुत सटीक नहीं हैं.’’

(इस खबर को भारतवर्ष न्यूज की टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है)

 

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