पीएम मोदी ने राजेंद्र चोल की जयंती पर गंगईकोंडा चोलपुरम में लिया हिस्सा, रोड शो में उमड़ी भीड़

राजेंद्र चोल प्रथम (1014-1044 ई.) भारत के महान शासकों में से एक थे. उनके शासनकाल में चोल साम्राज्य ने दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में विस्तार किया. उन्होंने गंगईकोंडा चोलपुरम को अपनी नई राजधानी बनाया.

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Courtesy: Social Media

PM Modi in Tamil Nadu: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को तमिलनाडु के गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर में आदि तिरुवथिरई महोत्सव में हिस्सा लिया. यह आयोजन चोल सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती के साथ-साथ उनके समुद्री अभियानों और मंदिर निर्माण की 1,000वीं वर्षगांठ का उत्सव था. 

आयोजन से पहले पीएम मोदी ने तिरुचिरापल्ली में एक रोड शो किया. जहां लोगों की भारी भीड़ नजर आई. लोगों ने फूलों की पंखुड़ियों से उनका स्वागत किया. यह दृश्य तमिलनाडु में उनकी लोकप्रियता को दर्शाता है. 

राजेंद्र चोल का ऐतिहासिक योगदान  

राजेंद्र चोल प्रथम (1014-1044 ई.) भारत के महान शासकों में से एक थे. उनके शासनकाल में चोल साम्राज्य ने दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में विस्तार किया. उन्होंने गंगईकोंडा चोलपुरम को अपनी नई राजधानी बनाया. यहां निर्मित मंदिर शैव धर्म और चोल वास्तुकला का प्रतीक है. यह स्थल 250 वर्षों तक महत्वपूर्ण रहा. गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर अब यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है. इसकी भव्य मूर्तियां, चोल-युगीन कांस्य कृतियां और शिलालेख इसे खास बनाते हैं. यह मंदिर चोल वंश की स्थापत्य और प्रशासनिक उत्कृष्टता को दर्शाता है. यह उत्सव 23 जुलाई को शुरू हुआ. यह राजेंद्र चोल के जन्म नक्षत्र तिरुवथिरई (आर्द्रा) के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. उत्सव तमिल शैव भक्ति और चोल विरासत का सम्मान करता है. इसमें अधीनम भी शामिल थे. 

अधीनम की क्या है भूमिका  

उन्नीस अधीनम (शैव मठों के प्रमुख) पहले 2023 में नए संसद भवन के उद्घाटन में सेंगोल स्थापना समारोह में शामिल हुए थे. उनकी उपस्थिति इस आयोजन को और महत्वपूर्ण बनाती है. अधीनम तमिलनाडु में सामाजिक और धार्मिक प्रभाव रखते हैं. पर्यवेक्षकों का मानना है कि भाजपा का अधीनमों के साथ जुड़ाव तमिलनाडु में विभिन्न समुदायों तक पहुंचने की रणनीति है. एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि अधीनमों की भागीदारी से भाजपा का प्रभाव बढ़ रहा है. यह कदम क्षेत्र में पार्टी की स्थिति को मजबूत कर सकता है. पीएम मोदी ने अपने संबोधन में चोल वंश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत की प्रशंसा की. उन्होंने लोगों से इस धरोहर को समझने और संरक्षित करने की अपील की. यह आयोजन तमिलनाडु की समृद्ध परंपराओं को राष्ट्रीय मंच पर लाता है. 

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