PM Modi on Trump Gaza Plan: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गाजा शांति योजना का समर्थन किया. उन्होंने इसे इजरायल और फिलिस्तीन के बीच स्थायी शांति का रास्ता बताया. यह बयान ट्रंप द्वारा व्हाइट हाउस में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की मौजूदगी में योजना की घोषणा के बाद आया.
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि हम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गाजा संघर्ष समाप्त करने की व्यापक योजना का स्वागत करते हैं. यह योजना फिलिस्तीनी और इजरायली लोगों के लिए दीर्घकालिक शांति, सुरक्षा और विकास का रास्ता खोलती है. उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी पक्ष इस पहल का समर्थन करेंगे और शांति स्थापित करने में सहयोग करेंगे.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप की योजना गाजा में तत्काल युद्धविराम की मांग करती है. इसका लक्ष्य गाजा को कट्टरपंथ और आतंक से मुक्त क्षेत्र बनाना है, जो अपने पड़ोसियों के लिए खतरा न बने. योजना में गाजा के पुनर्विकास पर जोर दिया गया है, ताकि वहां के लोगों का जीवन बेहतर हो.
इसके तहत इजरायली सेना की गाजा से वापसी और हमास द्वारा बंधक बनाए गए इजरायली नागरिकों की रिहाई की बात कही गई है. योजना में यह भी स्पष्ट किया गया है कि गाजा का शासन एक गैर-राजनीतिक फिलिस्तीनी समिति के पास होगा. यह समिति सार्वजनिक सेवाओं और नगर पालिकाओं के दैनिक संचालन की जिम्मेदारी लेगी. ट्रंप की योजना में साफ कहा गया है कि हमास और उसके किसी भी गुट को गाजा के शासन में कोई भूमिका नहीं दी जाएगी. यह कदम क्षेत्र में स्थायी शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है.
भारत के साथ-साथ कनाडा, कतर, जॉर्डन, संयुक्त अरब अमीरात, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, तुर्की, सऊदी अरब और मिस्र जैसे देशों ने भी इस योजना का स्वागत किया है. इजरायल ने भी इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है, जो इसे क्षेत्रीय शांति की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. मोदी ने अपनी पोस्ट में पश्चिम एशिया में शांति और विकास की बात कही. उन्होंने उम्मीद जताई कि यह योजना क्षेत्र में लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष को खत्म करने में मदद करेगी. भारत हमेशा से शांति और सहयोग का समर्थक रहा है, और इस योजना को लेकर भी उसका रुख सकारात्मक है. यह योजना न केवल गाजा, बल्कि पूरे पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता की उम्मीद जगाती है. भारत समेत कई देश इस दिशा में सकारात्मक योगदान देने को तैयार हैं.