MNS: महाराष्ट्र में भाषा विवाद ने फिर से तूल पकड़ लिया है. ठाणे के मीरा रोड में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कार्यकर्ताओं को विरोध मार्च के दौरान हिरासत में लिया गया. यह मार्च मराठी भाषा के समर्थन में निकाला गया था. हालांकि सीएम फडणवीस का कहना है कि इसके लिए अनुमति नहीं दी गई थी.
मनसे ने मीरा रोड में ‘मराठी मार्च’ की योजना बनाई थी. यह मार्च मराठी भाषा के सम्मान और अधिकारों के लिए था. पुलिस ने कानून-व्यवस्था की चिंता के कारण अनुमति देने से इनकार कर दिया. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि पुलिस ने मनसे को दूसरा मार्ग सुझाया था, लेकिन वे मीरा रोड पर ही अड़े रहे.
मंगलवार तड़के मनसे के ठाणे और पालघर प्रमुख अविनाश जाधव को उनके घर से हिरासत में लिया गया. पुलिस के अनुसार, जाधव के खिलाफ 28 आपराधिक मामले दर्ज हैं. पुलिस ने मीरा-भायंदर क्षेत्र में उनकी एंट्री पर रोक लगा दी थी. इस कार्रवाई से मनसे कार्यकर्ताओं में गुस्सा भड़क गया. यह विवाद तब शुरू हुआ जब मनसे कार्यकर्ताओं ने एक दुकानदार पर मराठी न बोलने के लिए कथित तौर पर हमला किया.
यह घटना ठाणे के मीरा रोड में हुई. जिसके बाद यह मामला काफी चर्चा में आ गया. व्यापारियों ने इस हमले के खिलाफ विरोध किया. जवाब में मनसे ने मराठी भाषा के समर्थन में मार्च बुलाया. मनसे नेता संदीप देशपांडे ने कहा कि हमें मीरा रोड में मार्च की अनुमति नहीं दी गई, जबकि व्यापारियों को अनुमति थी.
महाराष्ट्र में भाषा का मुद्दा सरकार और विपक्ष के बीच तनाव का कारण बना है. हाल ही में प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने का फैसला विवादों में रहा. विपक्ष और मराठी समर्थक समूहों के विरोध के बाद सरकार ने इसे वापस ले लिया. मनसे और शिवसेना (यूबीटी) ने इस मुद्दे पर आक्रामक रुख अपनाया. मनसे का कहना है कि वे मराठी भाषा का सम्मान चाहते हैं. लेकिन दुकानदारों पर हमले की घटनाओं ने सवाल खड़े किए हैं. विपक्षी नेता आदित्य ठाकरे ने इन हमलों से दूरी बनाई. उन्होंने कहा कि यह मराठी बनाम गैर-मराठी का मामला नहीं है. फिर भी, ठाणे और पुणे में ऐसी घटनाओं ने तनाव बढ़ाया है.