तियानजिन शिखर सम्मेलन में भारत-चीन संबंध सुधरने की उम्मीद, लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता से कम होगा तनाव

भारत और चीन ने सीमा पर तनाव कम करने के लिए लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता शुरू करने का फैसला किया है. यह वार्ता चुशुल, नाथू ला और किबुथू या यांग्त्ज़ी में होगी. अभी तक केवल चुशुल में 14वीं कोर कमांडर और सिंकियांग सैन्य डिवीजन कमांडर के बीच जनरल स्तर की बातचीत होती थी.

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Courtesy: Social Media

India-China Relations: तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात भारत-चीन संबंधों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है. यह बैठक 31 अगस्त से 1 सितंबर तक होना है, जिसमें दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में कदम उठा रहे हैं. इसमें सीमा पर सैन्य वार्ता को बढ़ावा देना और हवाई सेवाओं की बहाली शामिल है. यह मुलाकात दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है.

भारत और चीन ने सीमा पर तनाव कम करने के लिए लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता शुरू करने का फैसला किया है. यह वार्ता चुशुल, नाथू ला और किबुथू या यांग्त्ज़ी में होगी. अभी तक केवल चुशुल में 14वीं कोर कमांडर और सिंकियांग सैन्य डिवीजन कमांडर के बीच जनरल स्तर की बातचीत होती थी. 19 अगस्त को विशेष प्रतिनिधि वार्ता के 24वें दौर में इस नए कदम पर सहमति बनी. दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच साल में छह दौर की बातचीत होने की संभावना है. इससे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव को तुरंत सुलझाने में मदद मिलेगी.

अमेरिकी दबाव ने बदली तस्वीर  

भारत-चीन के बीच यह तालमेल ऐसे समय में हो रहा है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोनों देशों पर व्यापार शुल्क बढ़ाने का दबाव बना रहे हैं. भारत पर 27 अगस्त से 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगने की संभावना है, जिससे कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो जाएगा. वहीं, चीन पर पहले ही 54 प्रतिशत शुल्क लागू है. 19 अगस्त को विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी समकक्ष वांग यी की बैठक में अमेरिकी दबाव मुख्य मुद्दा रहा. दोनों मंत्रियों ने माना कि अमेरिका उनके देशों को अनुचित रूप से निशाना बना रहा है. इसलिए भारत और चीन को अपने बाजारों की रक्षा के लिए एक-दूसरे के करीब आना होगा.

भारत की रणनीति और अमेरिका से दूरी

 भारत, चीन के साथ सहयोग की सीमाओं को समझता है, लेकिन अमेरिका ने टैरिफ को हथियार बनाकर और यूक्रेन युद्ध में भारत को खलनायक बनाकर भारतीय नेतृत्व और जनता में वाशिंगटन के प्रति भरोसा तोड़ा है. 27 अगस्त को अतिरिक्त शुल्क लगने से भारत-अमेरिका संबंधों में और ठंडक आ सकती है. भारत अब अपने हितों की रक्षा के लिए चीन के साथ तालमेल बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सीमा पर शांति बनी रही, तो भारत-चीन के बीच संबंध और मजबूत होंगे. यह दोनों देशों के लिए न केवल कूटनीतिक, बल्कि आर्थिक और रणनीतिक दृष्टि से भी फायदेमंद होगा. दोनों एशियाई दिग्गजों के बीच यह नया अध्याय क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है.

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