RBI Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी ताजा मौद्रिक नीति में रेपो दर को 5.5% पर स्थिर रखा है. यह फैसला वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिस्थितियों, खासकर टैरिफ के प्रभाव को देखते हुए लिया गया है. RBI ने प्रतीक्षा और निगरानी की रणनीति अपनाई है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह यथास्थिति दिसंबर में दरों में कटौती की संभावना को खोलती है.
RBI ने वित्त वर्ष 2026 के लिए मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि के अनुमान में बदलाव किया है. अब मुद्रास्फीति दर 2.6% रहने की उम्मीद है, जो पहले के 3.1% के अनुमान से कम है. वहीं, सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर 6.8% रहने का अनुमान है, जो पहले के 6.5% से अधिक है. यह दर्शाता है कि RBI अर्थव्यवस्था को लेकर सतर्क लेकिन आशावादी है.
RBI ने अपनी मौद्रिक नीति का रुख तटस्थ बनाए रखा है. यह रुख आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की दिशा में संतुलन बनाए रखने का संकेत देता है. गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि RBI आर्थिक विकास और स्थिरता के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है. उनकी टिप्पणियों पर अर्थशास्त्रियों की नजर है, जो भविष्य की नीतियों के संकेत दे सकती हैं. ब्लूमबर्ग न्यूज़ के सर्वे में शामिल 39 में से 24 अर्थशास्त्रियों ने रेपो दर को 5.5% पर स्थिर रहने की भविष्यवाणी की थी. वहीं, 15 ने रेपो दर में 0.25% की कटौती की उम्मीद जताई थी. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा आर्थिक स्थिति दरों में कमी की गुंजाइश बनाती है. कई अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि इस चक्र में रेपो दर 5% तक कम हो सकती है.
RBI का यह फैसला दर्शाता है कि वह वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और घरेलू जरूरतों के बीच संतुलन बनाना चाहता है. टैरिफ के प्रभाव और वैश्विक व्यापार की स्थिति पर RBI की नजर है. दिसंबर में होने वाली अगली मौद्रिक नीति बैठक में दरों में कटौती की संभावना बढ़ रही है. गवर्नर मल्होत्रा की टिप्पणियां इस दिशा में महत्वपूर्ण संकेत दे सकती हैं. कम मुद्रास्फीति और बेहतर GDP वृद्धि के अनुमान सकारात्मक संकेत हैं. हालांकि, वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच RBI की सतर्कता बरकरार है. अगले कुछ महीनों में मौद्रिक नीति के रुख और दरों में संभावित बदलाव पर सभी की नजर रहेगी.