सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, बिहार में मतदाता सूची संशोधन के लिए नहीं बढ़ेगी समय सीमा

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि समय सीमा बढ़ाने से प्रक्रिया अनिश्चितकाल तक खिंच सकती है. इससे मतदाता सूचियों को अंतिम रूप देने की समय-सारिणी प्रभावित होगी.

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Courtesy: Social Media

Bihar SIR: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (एसआईआर) के लिए दावे और आपत्तियां दाखिल करने की समय सीमा बढ़ाने से इनकार कर दिया है. भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने 1 सितंबर की समय सीमा तय की थी. कोर्ट ने राजनीतिक दलों को इस प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी का निर्देश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि समय सीमा बढ़ाने से प्रक्रिया अनिश्चितकाल तक खिंच सकती है. इससे मतदाता सूचियों को अंतिम रूप देने की समय-सारिणी प्रभावित होगी. कोर्ट ने कहा कि यह एक अंतहीन प्रक्रिया बन सकती है. इसके साथ ही, कोर्ट ने राजनीतिक दलों को अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से सहयोग करने को कहा. 

वैध आवेदनों पर होगा विचार

चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि 1 सितंबर के बाद भी दावे और आपत्तियां स्वीकार की जाएंगी. आयोग ने आश्वासन दिया कि नामांकन की अंतिम तिथि तक सभी वैध आवेदनों पर विचार होगा. इससे योग्य मतदाताओं का नाम सूची में शामिल हो सकेगा. आयोग ने यह भी बताया कि बिहार में 2.74 करोड़ मतदाताओं में से 99.5 प्रतिशत ने अपनी पात्रता के दस्तावेज़ जमा कर दिए हैं. आयोग ने सूचित किया कि जिन मतदाताओं के दस्तावेज़ अधूरे हैं, उन्हें सात दिनों के भीतर नोटिस भेजा जा रहा है. यह कदम मतदाता सूची को और अधिक पारदर्शी और सटीक बनाने के लिए उठाया गया है. आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया आगामी चुनावों से पहले पूरी होनी चाहिए. 

समय सीमा बढ़ाने से खतरा

चुनाव आयोग ने कोर्ट में तर्क दिया कि समय सीमा में किसी भी तरह का विस्तार एसआईआर प्रक्रिया को बाधित करेगा. इससे मतदाता सूचियों को अंतिम रूप देने में देरी हो सकती है, जो आगामी बिहार चुनावों के लिए जरूरी है. आयोग ने जोर दिया कि प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए समय सीमा का पालन जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को पहले से जारी नोट पर अपनी प्रतिक्रियाएँ देने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों को मिलकर इस प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध बनाना होगा. यह फैसला बिहार में स्वच्छ और निष्पक्ष चुनाव की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.

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