Umar Khalid: दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से दिल्ली दंगा 2020 से जुडे मामले में शामिल उमर खालिद समेत अन्य आरोपियों को जमानत देने से मना कर दिया गया है.
इस मामाले में उमर खालिद और शरजील इमाम के साथ-साथ अन्य सात आरोपी भी शामिल हैं. जिसमें खालिद सैफी, अतहर खान, मोहम्मद सलीम, शिफा उर रहमान, मीरान हैदर और शादाब अहमद का भी नाम शामिल है.
न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शलिंदर कौर की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी अपीलें खारिज की जाती हैं. उच्च न्यायालय ने 9 जुलाई को जमानत याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की दिल्ली उच्च न्यायालय की एक समन्वय पीठ ने इसी मामले में एक अन्य सह-आरोपी तस्लीम अहमद को भी ज़मानत देने से इनकार कर दिया. पूर्वोत्तर दिल्ली में 23 फ़रवरी, 2020 को तत्कालीन प्रस्तावित नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच हुई झड़पों के बाद हिंसा भड़क उठी थी. जिसमें 53 लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हुए थे. निचली अदालत द्वारा जमानत देने से इनकार किए जाने के बाद, इस मामले के अभियुक्तों ने उच्च न्यायालय का रुख किया था. उन्होंने तर्क दिया था कि वे पहले ही चार साल से ज्यादा समय हिरासत में बिता चुके हैं और मुकदमे की धीमी गति के कारण उन्हें लंबे समय तक जेल में रखना अनुचित है.
उन्होंने यह भी दावा किया कि वे अपने सह-आरोपियों नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तन्हा के समान आधार पर जमानत पर रिहा होने के हकदार हैं, जिन्हें 2021 में उच्च न्यायालय ने जमानत दी थी. इस बीच, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद द्वारा प्रतिनिधित्व की गई दिल्ली पुलिस ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 2020 के दंगे 'स्वतःस्फूर्त' नहीं थे, बल्कि एक 'सुनियोजित', 'सुविचारित साजिश' थी. जिसे एक विशेष तिथि, समय और स्थान पर देश को धार्मिक आधार पर विभाजित करने और विश्व स्तर पर भारत को शर्मिंदा करने के भयावह लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अंजाम दिया गया था.