मान सरकार की पहल ने युवाओं में जगाया ‘पंजाबियत’ का जज्बा, पंजाबी भाषा ओलंपियाड

International Punjabi Olympiad: पंजाबी भाषा पंजाब की मिट्टी, गुरुओं की बानी और साहित्य में रची-बसी है. लेकिन बदलते समय और वैश्वीकरण के दौर में नई पीढ़ी अपनी मातृभाषा से धीरे-धीरे दूर होती जा रही है. इसी चिंता को समझते हुए मान सरकार ने अंतरराष्ट्रीय पंजाबी भाषा ओलंपियाड का आयोजन किया.

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International Punjabi Olympiad: मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने अंतरराष्ट्रीय पंजाबी भाषा ओलंपियाड की शुरुआत कर पंजाबी भाषा और संस्कृति को नई पहचान दी है. यह ओलंपियाड केवल एक प्रतियोगिता नहीं है, बल्कि यह अपनी मातृभाषा के प्रति प्रेम, सम्मान और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक बन गया है. विदेशों में रहने वाली नई पीढ़ी, जो अपनी जड़ों और भाषा से दूर होती जा रही है, उन्हें अपनी विरासत से जोड़ने का यह एक प्रभावशाली प्रयास है.

वैश्विक पहचान और मातृभाषा का संरक्षण

पंजाबी भाषा पंजाब की मिट्टी, गुरुओं की बानी और साहित्य में रची-बसी है. लेकिन बदलते समय और वैश्वीकरण के दौर में नई पीढ़ी अपनी मातृभाषा से धीरे-धीरे दूर होती जा रही है. इसी चिंता को समझते हुए मान सरकार ने अंतरराष्ट्रीय पंजाबी भाषा ओलंपियाड का आयोजन किया.

यह ओलंपियाड दुनिया भर में फैले पंजाबियों को अपनी भाषा, साहित्य और संस्कृति से जोड़ने का एक मंच प्रदान करता है. जब बच्चे अपनी मातृभाषा में सवालों के जवाब देते हैं और पुरस्कार जीतते हैं, तो यह केवल प्रतियोगिता की जीत नहीं होती, बल्कि अपनी पहचान और विरासत पर गर्व का अहसास भी होता है.

भावनात्मक और सांस्कृतिक पहल

मान सरकार की यह पहल सिर्फ प्रतियोगिता तक सीमित नहीं है. यह एक सांस्कृतिक और भावनात्मक सेतु का काम करती है, जो विदेशों में बसी नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ती है. यह ओलंपियाड बच्चों को पंजाबी साहित्य, इतिहास और संस्कृति से परिचित कराता है और उनमें अपनी पहचान पर गर्व की भावना पैदा करता है.

इस पहल का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि वैश्वीकरण के दौर में कई भाषाएं धीरे-धीरे खो रही हैं. ऐसे में पंजाबी भाषा को नई पीढ़ी तक पहुँचाने और उसे वैश्विक मंच पर स्थापित करने के लिए यह प्रयास अत्यंत महत्वपूर्ण है.

पंजाब सरकार की दूरदर्शिता

मुख्यमंत्री भगवंत मान और उनके मंत्रिमंडल ने पंजाबी भाषा के संरक्षण और प्रचार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. साइनबोर्ड पर पंजाबी को अनिवार्य करना, स्कूलों में मुख्य विषय के रूप में शामिल करना और अब अंतरराष्ट्रीय ओलंपियाड का आयोजन, यह सभी कदम भाषा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं.

यह पहल यह भी साबित करती है कि भाषाई संरक्षण केवल भाषण देने या घोषणाएं करने से नहीं होता, बल्कि रचनात्मक और भावनात्मक प्रयासों की आवश्यकता होती है. मान सरकार ने इसे बखूबी समझा और इसे व्यवहारिक रूप में लागू किया.

अंतरराष्ट्रीय पंजाबी भाषा ओलंपियाड (IPLO) का विवरण

पंजाबी भाषा ओलंपियाड का आयोजन PSEB (पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड) और पंजाब सरकार द्वारा हर साल किया जाता है. यह परीक्षा न केवल भारत में बल्कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और अन्य देशों में रहने वाले छात्रों के लिए भी खुली है.

कक्षा: 3 से 12 तक

  • प्रश्न: 50 वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न
  • समय: 40 मिनट
  • अंक: 50
  • उम्र सीमा: 17 वर्ष तक, विशेष रूप से 8वीं और 9वीं कक्षा के छात्र
  • समय क्षेत्र: छह अलग-अलग टाइम ज़ोन में आयोजित

इनाम राशि:

  • पहला पुरस्कार: ₹11,000
  • दूसरा पुरस्कार: ₹7,100
  • तीसरा पुरस्कार: ₹5,100

पहला ओलंपियाड 9-10 दिसंबर 2023 को और दूसरा 7-8 दिसंबर 2024 को ऑनलाइन आयोजित किया गया. अब तीसरा ओलंपियाड 2025 आयोजित होने जा रहा है और ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन Olympiad.pseb@punjab.gov.in
 पर शुरू हो चुका है.

बच्चों में भाषा और विरासत के प्रति गर्व की भावना

इस ओलंपियाड का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह बच्चों में अपनी मातृभाषा और संस्कृति के प्रति गर्व का भाव उत्पन्न करता है. विदेशों में पले-बढ़े बच्चों को अपनी भाषा की बारीकियों और इतिहास से परिचित कराने का यह एक अद्वितीय माध्यम है.

भाषा केवल शब्दों का समूह नहीं है, बल्कि यह हमारी भावनाओं, हमारी पहचान और हमारी विरासत का प्रतीक है. यह ओलंपियाड बच्चों को यह एहसास कराता है कि चाहे वे शारीरिक रूप से कहीं भी हों, उनकी आत्मा, संस्कृति और भाषा एक ही धागे में बंधी हुई है.

मान सरकार का प्रभावशाली कदम

पंजाब सरकार की यह पहल वैश्विक स्तर पर पंजाबी भाषा को पहचान दिलाने में मदद कर रही है. यह दिखाता है कि केवल भाषण देने या घोषणाएं करने से भाषा का संरक्षण नहीं होता. रचनात्मक और भावनात्मक पहल ही इसे जीवित और प्रासंगिक बनाती हैं.

ओलंपियाड के माध्यम से बच्चों और परिवारों के दिलों में अपनी जड़ों से जुड़ने की भावना जागृत होती है. यह केवल प्रतियोगिता नहीं, बल्कि एक आंदोलन है, जो हर पंजाबी को अपनी संस्कृति और विरासत पर गर्व करने का अवसर देता है.

पंजाबी भाषा को नई पहचान

अंतरराष्ट्रीय पंजाबी भाषा ओलंपियाड केवल शिक्षा का माध्यम नहीं, बल्कि मातृभाषा और संस्कृति के प्रति प्रेम और सम्मान का उत्सव है. यह नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ता है, वैश्विक स्तर पर पंजाबी भाषा को पहचान दिलाता है और भविष्य में इसे संरक्षित करने का एक मजबूत मंच बनाता है.

मुख्यमंत्री भगवंत मान की यह पहल दर्शाती है कि मातृभाषा के संरक्षण के लिए ठोस और भावनात्मक कदम उठाना कितना जरूरी है. यह ओलंपियाड हर पंजाबी बच्चे और परिवार के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत है.

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