मान सरकार ने दलित समाज को बनाया पंजाब का ‘गौरव’!” शिक्षा, रोजगार और सम्मान से सशक्त हुआ दलित वर्ग!

पंजाब की मिट्टी में कई पीढ़ियाँ आईं, जिन्होंने मेहनत की, सपने देखे; लेकिन टूटते अवसरों, सीमित पहुँच और बदलाव-के भरोसे ने उन्हें अक्सर पीछे रखा रहा. इस दौर में अनुसूचित जाति (एस. सी.) के परिवार-समूह का दर्द अलग और गहरा रहा.

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चंडीगढ़: पंजाब की राजनीतिक-सामाजिक परिप्रेक्ष्य में आज एक महत्वपूर्ण मोड़ देखने को मिला है. जब तक अन्य सरकारों की जुबान से अक्सर वे शब्द निकलते रहे जिनसे दलित समाज को चोट मिली थी, वहीं आज भगवंत सिंह मान की अगुआई में चल रही सरकार ने इस समाज को सिर्फ़ कागज़ों में नहीं बल्कि असल जीवन में “पंजाब का गौरव” बनाने की दिशा में कदम उठाए हैं. दलित समुदाय जो दशकों तक सामाजिक-आर्थिक असमानता, अवसरों की कमी और आवाज़ की अदृश्यता से जूझता रहा, उत्तरदाता सरकार की इस पहल में अब बदलाव की किरण महसूस कर रहा है.

पंजाब की मिट्टी में कई पीढ़ियाँ आईं, जिन्होंने मेहनत की, सपने देखे; लेकिन टूटते अवसरों, सीमित पहुँच और बदलाव-के भरोसे ने उन्हें अक्सर पीछे रखा रहा. इस दौर में अनुसूचित जाति (एस. सी.) के परिवार-समूह का दर्द अलग और गहरा रहा. इनकी तकलीफ़ें-उम्मीदें सत्ता-व्यवस्था की भीड़ में खो जाती थीं. मान सरकार ने इस स्थिति को चुनौती के रूप में लिया और कहा कि “सरकार जनता की होती है, और जनता में सबसे पहले वे लोग आते हैं जिनकी आवाज़ सबसे कम सुनी जाती है.” साथ ही उन्होंने यह प्रण लिया कि “किसी को पीछे नहीं छोड़ा जाएगा.”

इस नीति-दृष्टि के तहत, सरकारी योजनाओं के बजाय सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण की दिशा में व्यावहारिक कदम उठाए गए हैं. पंजाब के दलित समाज में शिक्षा-रोजगार-सम्मान का चक्र चलाने के लिए यह सरकार लगातार प्रयासरत रही है.

गरिमा की पुनर्स्थापना

दलित परिवारों के आर्थिक बोझ को कम करने के लिए एक अहम फैसला लिया गया है: पंजाब अनुसूचित जाति भूमि विकास एवं वित्त निगम (PSCFC) से लिए गए लगभग ₹68 करोड़ पुराने कर्ज माफ कर दिए गए हैं. कुल 4,727 परिवारों के लिए लगभग ₹67.84 करोड़ की कर्ज माफी की घोषणा की गई है.

यह सिर्फ एक संख्या नहीं, बल्कि उन परिवारों की मुस्कान है जिन्हें वर्षों से कर्ज के बोझ तले दबे रहने का डर था. आर्थिक राहत के साथ-साथ यह सामाजिक सम्मान और समानता की दिशा में मूल्यवान कदम है. कर्ज माफी ने यह संकेत दिया है कि सरकार सिर्फ योजनाएँ दे रही है नहीं बल्कि जीवन के बोझ को हल्का कर, भविष्य को सुदृढ़ बनाने का प्रयास कर रही है.

बेटियों के सपनों को पंख

दलित समाज की बेटियों के उज्जवल भविष्य की दिशा में भी मान सरकार ने दूरदर्शी पहल की है. उनकी एक प्रमुख योजना है “आशीर्वाद योजना”. यह सिर्फ आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि उन हिस्सों तक पहुँचने का माध्यम है जिन्हें दशकों तक अवसर-सम्मान से वंचित रखा गया.

इस योजना के तहत एस. सी. वर्ग की बालिकाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में भी सहयोग मिलता है. खास बात: विवाह-सहायता-योजना के अंतर्गत आय वाले परिवारों की एक लड़की को प्रति ₹51,000 की सहायता दी जा रही है. यह राशि सिर्फ आर्थिक मदद नहीं, बल्कि संदेश है “हम तुम्हारी बेटी की खुशियों में साथ हैं, उसकी शादी-उमंग में साथ हैं.”

यह पहल उस सामाजिक बाधा को तोड़ती है कि बेटी-सम्बंधी निवेश दूसरों के लिए है, दूसरों की वो कड़ी है जिसे अक्सर कमतर समझा गया. अब पंजाब में बेटियाँ न केवल शिक्षा-के क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, बल्कि अपने परिवार और समाज का गौरव भी बढ़ा रही हैं.

डी.आर.अंबेडकर पोर्टल से पारदर्शिता

शिक्षा-क्षेत्र में मान सरकार ने दलित-छात्रों के लिए एक सशक्त पायदान बनाया है. गरीब दलित बच्चों के पढ़ाई-बोझ को माता-पिता के सिर से हटाया गया है. 2 लाख से अधिक विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति मिली है.

  • एस. सी. वर्ग के विषय में, पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत 1,66,958 छात्र-छात्राओं ने आवेदन किया है.
  • चालू वित्त वर्ष में 627 छात्रों को ₹14.95 लाख वितरित किए गए हैं, जबकि 19,244 छात्रों को जल्द ही ₹4.62 करोड़ जारी किए जाएंगे.
  • वित्त वर्ष 2024-25 में राज्य सरकार ने 2,37,456 छात्रों को ₹267.54 करोड़ जारी किए हैं.
  • वर्ष 2025-26 के लिए लगभग ₹245 करोड़ का बजट रखा गया है और लगभग 2.70 लाख छात्रों को शामिल करने का लक्ष्य है.

डॉ. बी.आर. अंबेडकर छात्रवृत्ति पोर्टल पूरी तरह से डिजिटल और पारदर्शी प्रक्रिया द्वारा काम कर रहा है. इस पहल ने यह सुनिश्चित किया है कि योग्य लेकिन आर्थिक रूप से कमज़ोर छात्रों को धन की किल्लत के कारण अपनी शिक्षा जारी रखने में बाधा न आए.

ओवरसीज़ स्कॉलरशिप स्कीम

सिर्फ घरेलू नहीं रहा मान सरकार ने दलित छात्रों को वैश्विक मंच तक पहुंचाने के लिए एक महत्वाकांक्षी कदम उठाया है. सितंबर 2025 में घोषित “पंजाब ओवरसीज स्कॉलरशिप स्कीम” में एस. सी. वर्ग के प्रतिभाशाली छात्रों को दुनिया के शीर्ष 500 विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा का अवसर मिलेगा. इसके लिए वित्तीय सहायता में ट्यूशन फीस, वीज़ा, हवाई किराया, चिकित्सा बीमा तथा प्रति-वर्ष ₹13.17 लाख का रखरखाव भत्ता शामिल है.

यह योजना एक स्पष्ट संदेश देती है: जब काबिलियत और मेहनत होती है, तो कोई आर्थिक बाधा नहीं होनी चाहिए. इस पहल के जरिए पंजाब के एस. सी. युवा छात्र अपने सपनों को वैश्विक मानचित्र पर उजागर कर सकते हैं और देश-प्रदेश का नाम रोशन कर सकते हैं.

SCSP बजट और दलित-कल्याण की प्राथमिकता

एस. सी. समुदाय के लिए विशेष प्रावधान रखने के तहत, Scheduled Castes Sub‑Plan (SCSP) के अंतर्गत वर्ष 2023-24 में लगभग ₹13,836 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया था. यह आंकड़ा केवल वित्तीय संख्या नहीं, बल्कि सरकार की उस जिम्मेदारी को दर्शाता है कि दलित समाज को विशेष रूप से ध्यान में रखा गया है.

दलित मंत्रियों की सक्रिय भागीदारी

मान सरकार में दलित समाज को मुख्यधारा में लाने में एक अन्य अहम कारक रहा है. एस. सी. वर्ग से पँच कैबिनेट मंत्री होना, जिन्होंने अपने अनुभव तथा संवेदनशीलता के साथ योजनाओं को धरातल पर लागू किया है. उनका उद्देश्य सिर्फ आर्थिक सहायता देना नहीं रहा, बल्कि सामाजिक सम्मान, समानता और सशक्तिकरण सुनिश्चित करना रहा है. यह दिखाता है कि नेतृत्व में सिर्फ सत्ता नहीं, संवेदना-और-हौसला भी मायने रखते हैं.

सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त दलित समाज

इन पहलों का प्रभाव सिर्फ आर्थिक सहायता तक सीमित नहीं रहा शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, वित्तीय सहायता हर क्षेत्र में सुधार हुआ है और योजनाओं का लाभ सीधे तक पहुंच रहा है. अब पंजाब के दलित परिवारों के चेहरे पर उम्मीद की चमक देखी जा सकती है. वे हाशिए पर नहीं, बल्कि विकास की धारा में पूरी ताकत के साथ आगे बढ़ रहे हैं.

यह बदलाव सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि समाज में सम्मान, आत्मविश्वास और सामाजिक न्याय का प्रतीक है. मान सरकार ने यह साबित कर दिया है कि जब नेतृत्व में संवेदना और हौसला हो, तो समाज के सबसे कमजोर वर्ग को भी मुख्यधारा में लाया जा सकता है.

चुनौतियां और आगे की राह

हालांकि यह सब बहुत सकारात्मक संकेत हैं, फिर भी आगे कई चुनौतियां बनी हुई हैं-

  • योजनाओं का पूर्ण लाभ न पहुँच पाने वाले परिवारों तक पहुंच सुनिश्चित करना.
  • डिजिटल-प्रणाली में पहुँच-कमज़ोर क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाना.
  • शिक्षा-रोजगार में तैनाती-और-उपयुक्त अवसरों की गारंटी देना.
  • सामाजिक चेतना में बदलाव लाना कि दलित समाज को सिर्फ “मदद” नहीं बल्कि “समान सहभागिता” मिले.

मान सरकार द्वारा उठाए गए कदम इन चुनौतियों के प्रति एक सकारात्मक उत्तर हैं, लेकिन उन्हें निरंतर बने रहने और विस्तार की जरूरत है.

आज पंजाब में, जब हम देखते हैं कि दलित बच्‍चे सिर्फ “उपकार” के पात्र नहीं बल्कि “सफलता” के काबिल साथी बन रहे हैं; जब दलित-युवा विदेश में पढ़ाई-के लिए तैयार हो रहे हैं; जब दलित-परिवार अब ऋण-बोझ से मुक्ति पा रहे हैं. तब यह स्पष्ट है कि यहाँ सिर्फ योजनाएं नहीं चल रही, बल्कि परिवर्तन हो रहा है.

मान सरकार ने यह संदेश दिया है कि दलित कल्याण सिर्फ एक सामाजिक वायदा नहीं, बल्कि संवेदनशील और दूरदर्शी सरकार की प्रतिबद्धता है. जहां एक था सपना, वहाँ आज एक अवसर खड़ा है. जहां डर था, वहां भरोसा बन रहा है. जहाँ पिछड़ापन था, वहां सशक्तिकरण का संकल्प खड़ा है. पंजाब में अब हर दलित परिवार का भविष्य उज्जवल है.  यह सिर्फ आकांक्षा नहीं, अब हकीकत बनने की राह पर है.

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