तीर्थ यात्रियों के लिए पंजाब सरकार का तोहफा, गरीबों और बुजुर्गों के लिए खोला खजाना

पंजाब की मान सरकार ने उनकी इस अधूरी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए "मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना" शुरू की. इस योजना ने हजारों बुजुर्गों और श्रद्धालुओं को न सिर्फ पवित्र स्थलों तक पहुंचाया, बल्कि उनके जीवन में आध्यात्मिक शांति और आत्मिक संतोष भी भर दिया.

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CM Bhagwant Mann: पंजाब की धरती हमेशा से आस्था और त्याग की मिसाल रही है. गुरुओं की शिक्षाओं से प्रेरित यहां के लोग धर्म और अध्यात्म को जीवन का अभिन्न हिस्सा मानते हैं. लेकिन समाज का एक बड़ा वर्ग, खासकर बुजुर्ग और गरीब, आर्थिक तंगी के कारण अक्सर पवित्र स्थलों की यात्रा करने से वंचित रह जाता है.

पंजाब की मान सरकार ने उनकी इस अधूरी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए "मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना" शुरू की. इस योजना ने हजारों बुजुर्गों और श्रद्धालुओं को न सिर्फ पवित्र स्थलों तक पहुंचाया, बल्कि उनके जीवन में आध्यात्मिक शांति और आत्मिक संतोष भी भर दिया.

योजना की शुरुआत और उद्देश्य

"मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना" की शुरुआत 6 नवंबर 2023 को हुई थी. पंजाब कैबिनेट ने इसे 27 नवंबर 2023 से 29 फरवरी 2024 तक के लिए मंजूरी दी थी और इसके लिए शुरुआती तौर पर 40 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया था. इस दौरान पहला जत्था 27 दिसंबर 2023 को गुरु पर्व के अवसर पर श्री नांदेड़ साहिब के लिए रवाना हुआ था. योजना का मुख्य उद्देश्य उन बुजुर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को निःशुल्क धार्मिक यात्रा कराना है, जो अपनी आस्थाओं को आर्थिक कारणों से पूरा नहीं कर पाते.

पहले चरण की उपलब्धियां

योजना के पहले चरण में 33,893 से अधिक श्रद्धालुओं को विभिन्न पवित्र स्थलों की यात्रा करवाई गई. यह चरण 27 नवंबर 2023 से शुरू होकर 29 फरवरी 2024 को समाप्त हुआ. इस दौरान अमृतसर रेलवे स्टेशन से तीर्थ यात्रियों की पहली ट्रेन नांदेड़ साहिब के लिए रवाना हुई. यात्रियों को यात्रा के दौरान एसी कमरे, भोजन और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं. उनके लिए स्वागत किट भी दी गई, जिसमें चादर, कंबल, तौलिया, तेल और कंघी जैसी जरूरी चीजें शामिल थीं.

बजट और नई घोषणाएं

अप्रैल 2025 में मान सरकार ने योजना को और व्यापक बनाने का फैसला किया. अब इसके लिए 100 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है और उम्र सीमा 60 से घटाकर 50 वर्ष कर दी गई है. इसका उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को इस योजना का लाभ दिलाना है. सरकार का लक्ष्य है कि इस चरण में 50,000 श्रद्धालुओं को पवित्र स्थलों की यात्रा कराई जाए.

धार्मिक विविधता का सम्मान

इस योजना की सबसे खास बात यह है कि इसमें सभी धर्मों के तीर्थस्थलों को शामिल किया गया है. हिंदू श्रद्धालुओं को माता चिंतपूर्णी, माता वैष्णो देवी, माता ज्वाला जी, खाटू श्याम, सालासर धाम, मथुरा, वाराणसी और वृंदावन जैसे पवित्र स्थलों की यात्रा कराई जाती है. सिख श्रद्धालु श्री पटना साहिब, श्री आनंदपुर साहिब, श्री हजूर साहिब और श्री दमदमा साहिब जैसे गुरुद्वारों के दर्शन करते हैं. वहीं मुस्लिम श्रद्धालुओं को अजमेर शरीफ और जामा मस्जिद की यात्रा का अवसर मिलता है. रेल और एसी बसों के माध्यम से इन यात्राओं का आयोजन किया जाता है.

सुरक्षा और सुविधा के इंतजाम

यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा का पूरा ध्यान रखा जाता है. प्रत्येक जत्थे के साथ डॉक्टरों, वॉलंटियरों और अधिकारियों की टीम रहती है. यात्रियों के पहुंचने से पहले ही अधिकारियों की टीम वहां जाकर सभी प्रबंध सुनिश्चित करती है. 75 साल से अधिक उम्र वाले बुजुर्गों को अपने साथ एक युवा देखभालकर्ता को ले जाने की अनुमति दी जाती है. इससे बुजुर्ग न सिर्फ सुरक्षित महसूस करते हैं, बल्कि परिवार के साथ यात्रा का सुख भी उठा पाते हैं.

व्यक्तिगत अनुभव और समाज पर असर

इस योजना का प्रभाव लोगों के जीवन पर साफ दिखाई देता है. संगरूर की जसवीर कौर, जिन्होंने पहली बार श्री हजूर साहिब के दर्शन किए, खुद को बेहद भाग्यशाली मानती हैं. वे कहती हैं कि यह यात्रा उनके जीवन की सबसे बड़ी खुशी रही. उनकी तरह हजारों श्रद्धालुओं के अनुभव समाज में नई प्रेरणा और विश्वास भर रहे हैं. घर लौटने के बाद बुजुर्ग अपने साथ न सिर्फ यादें लाते हैं, बल्कि एक नई ऊर्जा और सरकार के प्रति आभार भी व्यक्त करते हैं.

पंजाब की विरासत और भाईचारे का संदेश

मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना सिर्फ मुफ्त सफर की सुविधा नहीं है, बल्कि यह पंजाब की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और मान सरकार की दूरदर्शिता का प्रमाण है. गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं के अनुरूप यह योजना लोगों में भाईचारे और अमन का संदेश देती है. यह पहल अमीर-गरीब, युवा-बुजुर्ग सभी को एक साझा आस्था की डोर से जोड़ती है और पंजाब की सामाजिक एकजुटता को और मजबूत बनाती है.

पंजाब सरकार का यह कदम वास्तव में सराहनीय है. इस योजना ने यह साबित किया है कि एक कल्याणकारी राज्य वही है जो अपने नागरिकों की भौतिक जरूरतों के साथ-साथ उनकी आध्यात्मिक और भावनात्मक जरूरतों का भी ध्यान रखे. यह योजना न सिर्फ तीर्थ स्थलों की यात्रा कराती है, बल्कि लोगों के जीवन में शांति, सुकून और संतोष भी लाती है. बुजुर्गों की अधूरी ख्वाहिश पूरी कर उन्हें सम्मान देना ही इस योजना की असली सफलता है.

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