Matsya Dwadashi 2023: जब भगवान विष्णु को लेना पड़ा था मछली रूप, जानें क्या थी वजह

Matsya Dwadashi 2023: मत्स्य अवतार भगवान विष्णु का प्रथम अवतार माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था, इसलिए इस तिथि को मत्स्य द्वादशी के रूप में मनाया जाता है.

Date Updated
फॉलो करें:

हाइलाइट्स

  • मत्स्य द्वादशी के दौरान अच्छे स्वास्थ्य के लिए करें भगवान विष्णु की पूजा
  • मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था

Matsya Dwadashi 2023: हर साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मत्स्य द्वादशी मनाई जाती है. मान्यता है कि जो भक्त इस दिन भगवान विष्णु के मत्स्य स्वरूप की विधि-विधान से पूजा करता है उसे सुख और शांति की प्राप्ति होती है. आईये जानते हैं मत्स्य द्वादशी की कथा.

मत्स्य द्वादशी की कथा

कथा के अनुसार एक बार सत्यव्रत नाम के एक पराक्रमी राजा नदी में स्नान करने गये. जब वह सूर्य देव को जल अर्पित कर रहा था तो उसके अर्घ्य में एक छोटी मछली आ गई. राजा ने मछली को वापस नदी में छोड़ना चाहा, लेकिन तभी मछली बोली, 'हे राजा, इस नदी में बड़े-बड़े जीव रहते हैं, जो मुझे मारकर खा सकते हैं. कृपया मेरी जान बचायें. तब राजा सत्यव्रत उस मछली को अपने कमंडल में रखकर अपने घर ले आये.

अगली सुबह जब सत्यव्रत ने देखा तो पाया कि मछली का शरीर इतना बड़ा हो गया है कि कमंडल उसके लिए छोटा पड़ गया. तब मछली बोली, 'राजा, मैं इस कमंडल में नहीं रह पा रही हूं. कृपया मेरे लिए कोई अन्य स्थान खोजें.' तब सत्यव्रत ने मछली को कमंडल से निकाला और पानी के एक बड़े बर्तन में रख दिया. अगली सुबह जब राजा ने देखा तो बर्तन मछली के लिए बहुत छोटा था.

मछली का आकार बढ़ता देख समुंद्र में फेंक दिया राजा ने

ऐसा करते-करते कुछ समय बाद मछली का आकार इतना बड़ा हो गया कि उसे एक बड़े तालाब में डालना पड़ा. लेकिन कुछ समय बाद मछली का आकार इतना बढ़ गया कि तालाब भी उसके लिए छोटा पड़ गया और उसके बाद राजा ने उसे समुद्र में फेंक दिया.

लेकिन इसके बाद यह समुद्री मछली से कम हो गई. तब सत्यव्रत को समझ आया कि यह कोई आम मछली नहीं है. तब राजा ने बड़े विनम्र स्वर में पूछा, 'तुम कौन हो, जिसने समुद्र को भी डुबा दिया?' तब भगवान विष्णु ने उत्तर दिया कि 'मैं हयग्रीव नामक राक्षस को मारने आया हूं.

जिसने छल से भगवान ब्रह्मा से वेदों को चुरा लिया है, जिससे ज्ञान लुप्त हो जाने से संपूर्ण जगत में अज्ञान का अंधकार फैल गया है. भगवान विष्णु ने आगे कहा कि 'आज से 7 दिन बाद पृथ्वी पर प्रलय आएगा और पूरी पृथ्वी जलमग्न हो जाएगी. तभी एक नाव आपके पास आएगी और आपको अनाज, औषधियां, बीज और सप्त ऋषियों के साथ उस नाव पर चढ़ना होगा.

सातवें दिन आया था प्रलय

भगवान के कथनानुसार सातवें दिन जब प्रलय आया तो सत्यव्रत ने वैसा ही किया और सप्तर्षियों सहित नाव को अन्न तथा औषधियों से भर दिया. इसी बीच सत्यव्रत को पुनः मछली के रूप में भगवान के दर्शन हुए. इसके बाद भगवान ने राक्षस हयग्रीव को मार डाला और सभी वेदों को वापस ले लिया और भगवान ब्रह्मा को सौंप दिया.

एक कथा यह भी है कि सृष्टि की रचना के समय जब चारों ओर जल ही जल था, तब पृथ्वी को स्थापित करने के लिए मत्स्य भगवान समुद्र की तलहटी में गए थे और अपने मुख में मिट्टी लेकर आए थे और इसी से पृथ्वी का निर्माण हुआ. पानी के ऊपर बनाया गया था.