पहलगाम हमले के बाद आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका का एक्शन, टीआरएफ आतंकवादी संगठन घोषित

अमेरिका द्वारा टीआरएफ को आतंकवादी संगठन घोषित करना भारत के लिए एक महत्वपूर्ण समर्थन है. यह कदम आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग को मजबूत करता है. हालांकि, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने के लिए दोनों देशों को आपसी बातचीत पर ध्यान देना होगा. भारत का स्पष्ट रुख है कि क्षेत्रीय शांति के लिए आतंकवाद पर लगाम जरूरी है.

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Courtesy: Social Media

TRF Designated Terrorist Group: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा की शाखा, द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है. यह कदम आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने गुरुवार को बयान जारी करते हुए कहा कि टीआरएफ को विदेशी आतंकवादी संगठन (एफटीओ) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) के रूप में लिस्टेड किया गया है. इस कार्रवाई से टीआरएफ और इसके उपनामों को लश्कर-ए-तैयबा के साथ आधिकारिक तौर पर जोड़ा गया है. यह निर्णय संघीय रजिस्टर में प्रकाशन के बाद लागू होगा.

आतंकवाद से निपटने का तरीका 

रुबियो ने कहा कि यह कदम आतंकवाद से निपटने और पहलगाम हमले के लिए न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में ट्रम्प प्रशासन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. अमेरिकी अधिकारियों ने पहलगाम हमले को 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत में सबसे घातक आतंकी हमला बताया. 22 अप्रैल को चार हथियारबंद आतंकवादियों ने पहलगाम की बैसरन घाटी में हमला किया. उन्होंने हिंदू पुरुषों को उनके धर्म की पहचान के आधार पर निशाना बनाया और गोली मार दी. इस हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली थी, हालांकि बाद में उसने अपनी संलिप्तता से इनकार किया. इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया.

भारत ने शुरू किया ऑपरेशन सिंदूर

हमले के बाद भारत ने कड़ा रुख अपनाया. 7 मई को भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए गए. इस दौरान रावलपिंडी के नूर खान एयरबेस सहित पाकिस्तान के कई सैन्य ढांचों को नुकसान पहुंचा. जवाब में पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) और पंजाब-राजस्थान की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर युद्धविराम का उल्लंघन किया. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल मीडिया पर युद्धविराम की घोषणा की थी. उन्होंने दावा किया कि यह उनके हस्तक्षेप और व्यापार वार्ता की धमकियों के कारण हुआ. हालांकि भारत ने इसे मानने से इनकार कर दिया. भारत का कहना है कि नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच सभी मुद्दों का समाधान बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के होना चाहिए. जिसके बाद 10 मई दोनों देशों के बीच युद्धविराम पर सहमति बनी.

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