€1.1 बिलियन खर्च, 3 साल में ताला, दुनिया का सबसे मॉडर्न एयरपोर्ट कैसे बन गया ‘भूतिया अड्डा’?

€1.1 बिलियन की लागत, यूरोप का सबसे लंबा रनवे और 1 करोड़ यात्रियों की सालाना क्षमता… फिर भी तीन साल में ताला! सुनने में किसी थ्रिलर फिल्म की कहानी लगती है, लेकिन यह हकीकत है स्पेन के रियल सिउदाद एयरपोर्ट की, जिसे आज दुनिया “बिलियन डॉलर घोस्ट एयरपोर्ट” के नाम से जानती है.

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Real Ciudad Airport: स्पेन के ला मंचा क्षेत्र में स्थित रियल सिउदाद एयरपोर्ट 2009 में भारी उम्मीदों के साथ शुरू हुआ था. इसे यूरोप का अगला बड़ा एविएशन हब बनाने के सपने देखे गए थे. 4.1 किलोमीटर का रनवे, अत्याधुनिक टर्मिनल, विस्तृत कार्गो सुविधाएं, सब कुछ मौजूद था. योजना यह थी कि यह एयरपोर्ट हर साल करीब एक करोड़ यात्रियों को संभाल सकेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी रफ्तार मिलेगी.

एयरलाइन ने भी बंद कर दी  उड़ान

लेकिन सपनों की उड़ान जल्द ही जमीन पर आ गिरी. सबसे बड़ी भूल थी, लोकेशन का चयन. एयरपोर्ट को मैड्रिड से लगभग 200 किलोमीटर दूर बनाया गया. यात्रियों के लिए यह दूरी किसी सज़ा से कम नहीं थी. सरकार ने वादा किया था कि मैड्रिड से यहां तक हाई-स्पीड ट्रेन चलाई जाएगी, जिससे एक घंटे में पहुंचना संभव होगा. पर यह रेल प्रोजेक्ट कभी साकार ही नहीं हुआ. जब यात्री नहीं, तो एयरलाइंस भी ज्यादा दिन टिक नहीं सकीं. धीरे-धीरे उड़ानें कम होती गईं और 2011 में आखिरी एयरलाइन ने भी उड़ान बंद कर दी. महज तीन साल में एयरपोर्ट वीरान हो गया.

वित्तीय मोर्चे पर हालात और बदतर थे. अरबों की लागत वाला यह प्रोजेक्ट €300 मिलियन के कर्ज में डूब चुका था. जब इसे बेचने की कोशिश हुई, तो खरीदार नहीं मिले. एक समय पर एक चीनी कंपनी ने इसे सिर्फ 10 लाख रुपये की बोली के साथ लेने की पेशकश की, जो इस मेगा प्रोजेक्ट के लिए लगभग अपमानजनक थी.

स्क्रैप यार्ड के रूप में इस्तेमाल

लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद आखिरकार 2018 में €56 मिलियन (लगभग 580 करोड़ रुपये) में यह बिक पाया. 2019 में इसे दोबारा खोला जरूर गया, लेकिन यात्रियों के लिए नहीं. आज यह एयरपोर्ट टूटे विमानों के पार्किंग यार्ड, रिपेयर सेंटर और स्क्रैप यार्ड के रूप में इस्तेमाल हो रहा है.

रियल सिउदाद एयरपोर्ट की कहानी बताती है कि चमक-दमक और तकनीक के साथ-साथ सही योजना और कनेक्टिविटी भी जरूरी है. वरना अरबों की परियोजना भी “भूतिया ढांचे” में बदल सकती है.

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