भारत ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में पाकिस्तान को आडे हाथों ले लिया। भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पर उनके संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में किए गए संबोधन पर व्यंग्यात्मक पलटवार किया. इसमें भारत ने आतंकवाद पर चर्चा करते हुए कहा- ''कि दुनिया भर में आतंकी घटनाओं पर पाकिस्तान की उंगलियों के निशान हैं. भारत के खिलाफ सीमा पार से आतंकवादी गतिविधि जारी रखने पर इसके निश्चित परिणाम पाकिस्तान को भुगतने होंगे.
दरअसल संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र की बैठक का आयोजन हुआ. इसमें बहस के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने संबोधन में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया था. जिसके बाद भारत की तरफ से संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की प्रथम सचिव भाविका मंगलनंदन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान को सख्त लहजे में जवाब दिया। भाविका मंगलनंदन ने पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ एक प्रमुख रणनीति के तौर पर आतंकवाद को बढ़ावा देने जैसे कई गंभीर आरोप लगाए. इसके साथ ही भाविका ने साल 2001 में भारत में संसद भवन पर हुए हमले व साल 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों समेत कई आतंकी घटनाओं का जिक्र किया.
बहसबाजी में पाकिस्तान को चित्त करते हुए स्थायी मिशन की प्रथम सचिव भाविका मंगलनंदन ने इस्लामाबाद के निराधार दावों पर तीखे जवाब दिए। जिसमें मंगलनंदन ने कहा-कि "सूची लंबी है''. मंगलनंदन ने यह भी कहा- कि "आतंकवाद के साथ कोई समझौता नहीं हो सकता" और भारत के खिलाफ पाकिस्तान की सीमा पार आतंकवाद को परिणाम भुगतने होंगे".
भाविका मंगलनंदन ने भारत के अधिकारों की बात करते हुए कहा, "हम ऐसे देश के बारे में बात कर रहे हैं जिसने लंबे समय तक ओसामा बिन लादेन को पनाह दी है. उस देश की उंगलियों के निशान दुनिया भर में कई आतंकवादी घटनाओं पर हैं. यह वजह है कि इस देश की रणनीति की वजह से ही समाज में रहने वाले कई लोग इसे अपना घर बनाना चाहते है. भाविका ने तीखे लहजे में पाकिस्तान को चेतावानी देते हुए कहा कि- पाकिस्तान भारत से जम्मू- कश्मीर में अपनी "एकतरफा और अवैध" कार्रवाइयों को वापस ले. साल 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने का भी जिक्र किया.
शहबाज शरीफ ने दावा किया, "भारत ने शासन के प्रति रणनीतिक संयम करने के लिए पाकिस्तान के प्रस्तावों को खारिज कर दिया। इसके नेतृत्व ने अक्सर नियंत्रण रेखा पार करने और आजाद कश्मीर पर कब्जा करने की धमकी दी है।" इस पर मंगलानंदन ने भी व्यंग्यात्मक ठंग से जबाब देते हुए कहा कि पाकिस्तान को देश द्वारा संचालित नशीले पदार्थों और अंतरराष्ट्रीय अपराध के लिए वैश्विक प्रतिष्ठा" वाला व "सेना द्वारा संचालित देश" है।
मंगलनंदन ने कहा, "धांधली वाले चुनावों के इतिहास वाले देश के लिए लोकतंत्र में राजनीतिक विकल्पों के बारे में बात करना और भी असाधारण है." भारतीय राजनयिक ने कहा कि- जम्मू और कश्मीर "भारत का एक अविभाज्य और अभिन्न अंग" है. पाकिस्तान लंबे समय से हिंसक तरीकों से इस क्षेत्र में शांति और चुनावों को बाधित करने का हर बार प्रयास कर रहा है. उन्होंने पाकिस्तान की इन नापाक हरकतों पर निंदा जाहिर करते हुए कहा कि "ऐसे देश के लिए कहीं भी हिंसा के बारे में बात करना सबसे बड़ा पाखंड है.''
मंगलनंदन ने आपसी रणनीतिक संयम व्यवस्था के लिए पाकिस्तान के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया दी. मंगलनंदन ने कहा कि "आतंकवाद से कोई समझौता नहीं हो सकता." उन्होंने कहा, "यह हास्यास्पद है कि एक राष्ट्र जिसने 1971 में नरसंहार किया और जो आज भी अपने अल्पसंख्यकों पर अत्याचार कर रहा है, वह असहिष्णुता और भय के बारे में बोलने की हिम्मत करता है। दुनिया खुद देख सकती है कि पाकिस्तान असलियत में है क्या? श्रीमान राष्ट्रपति, हम एक ऐसे राष्ट्र के बारे में बात कर रहे हैं जिसने लंबे समय तक ओसामा बिन लादेन को पनाह दी।"