International News: चीन ने अक्साई चिन व अरुणाचल प्रदेश को अपना क्षेत्र कहते हुए नए नक्शे को जारी किया हैं. इस बात से चीन ने एक बार फिर से अपने गलत इरादों के बारे में दुनिया को बता दिया है. वहीं LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल) कंट्रोल के पहले में अक्साई चिन एरिया में सुरंगें बनाता नजर आ रहा है. नदी घाटी के दोनों तरफ सैनिकों, हथियारों, सुरंगों के लिए बंकर बनाने की शुरूआत कर दी गई है. वहीं ये जो निर्माण कार्य है वह उत्तरी लद्दाख में डेपसांग क्षेत्रों से 60 कि.मी की दूरी पर देखने को मिल रहा हैं. ये इलाका लाइन ऑफ एक्चुअल के पहले अक्साई चिन में अवस्थित हैं.
इंटरनेशनल जियो-इंटेलीजेंस एक्सपर्ट्स ने जारी किए गए तस्वीर की जांच कर विश्लेषण किया तो पाया कि, नदी घाटी के दोनों तरफ 11 पोर्टल के साथ शाफ्ट बनाने की तैयारी चल रही है. काफी महीनों से ऊंचे स्तर पर निर्माण कार्य की प्रक्रिया चल रही है. इतना ही नहीं चीन ने ताइवान को भी अपना हिस्सा बताया है.
आपको बता दें कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का इरादा है कि, वे ताइवान का एकीकरण कर सकते हैं. जिसके लिए फिलीपींस, ब्रुनेई, दक्षिण चीन सागर, चीन वियतनाम, मलेशिया पर भी अपना दावा करते दिख रहे है.
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि गलवन घाटी की घटना के उपरांत जिस प्रकार भारतीय सेना ने अपनी ताकत को बढ़ावा दिया है. इसे देखते हुए चीन ने ये चाल चली है. आपको बता दें कि खास तरीके से लंबी दूरी तक निशाना साधने वाले रॉकेट तोपखाने को बढ़ाया है. उनका कहना है कि शेल्टरों की मजबूती को बढ़ाने में सुरंगों, बंकरों, सड़कों को चौड़ा करने का उत्पादन मौजूदा खतरों में कमी लाने के लिए किया जा रहा है.
भारतीय वायु सेना लद्दाख मोर्चे पर चीन के विरूद्ध कई तरह के फ्रंटलाइन एयरबेस संचालित किया करती है.एयर लैंडिंग ग्राउंड में रनवे के विस्तार के लिए एयरफोर्स न्योमा में विचार विमर्श कर रही है. इससे ये फायदा होगा कि वायुसेना चीन व एलएसी से 50 कि.मी. से कम ही दूरी पर लड़ाकू विमानों का संचालन कर सकती है.