India US Trade Deal: अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने अमेरिका के व्यापार पॉलिसी को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा समर्थित एक प्रस्तावित सीनेट बिल कुछ देशों पर 500 प्रतिशत तक टैरिफ लगा सकता है. उन्होंने कहा कि इस बिल के मुताबिक उन सभी देशों पर 500 प्रतिशत टैरिफ लगेगा जो रूस के साथ व्यापार जारी रखता है.
अमेरिका द्वारा प्रस्तावित इस बिल का सबसे ज्यादा असर भारत और चीन जैसे देशों पर पड़ेगा. ग्राहम ने कहा कि रूस अपने व्यापार के पैसों का इस्तेमाल युद्ध मशीन चलाने के लिए करते हैं, इसलिए वे सभी देश जो उनकी मदद करेंगे, उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है. यदि यह बिल कानून बनता है, तो भारत को गंभीर आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. भारत और रूस के बीच तेल का व्यापार भारी मात्रा में किया जाता है. यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद भारत ने 2022 से रूस से 49 बिलियन यूरो का तेल आयात किया.
ग्राहम और डेमोक्रेटिक सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल द्वारा सह-प्रायोजित इस बिल को 84 सीनेटरों का समर्थन प्राप्त है. इसका उद्देश्य रूस की युद्ध अर्थव्यवस्था को कमजोर करना और यूक्रेन में शांति वार्ता के लिए मॉस्को पर दबाव डालना है. ग्राहम ने बताया कि ट्रम्प ने एक गोल्फ खेल के दौरान इस बिल को हरी झंडी दी. हालांकि, व्हाइट हाउस ने शुरू में इस बिल का विरोध किया था, लेकिन अब इसे नरम करने के लिए कुछ बदलाव किए गए हैं. यह घटनाक्रम तब हुआ है, जब भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है. अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने कहा कि यह समझौता बिल्कुल करीब है. हालांकि, कृषि जैसे कुछ मुद्दों पर गतिरोध बना हुआ है. इस बिल के लागू होने से भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर असर पड़ सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है.
ट्रंप के इस बिल न केवल भारत और चीन, बल्कि रूस के साथ व्यापार करने वाले अन्य देशों को भी प्रभावित करेगा. ग्राहम ने यूक्रेन का समर्थन करने वाले देशों के लिए अलग प्रावधान का प्रस्ताव रखा है, ताकि अमेरिका के यूरोपीय सहयोगियों की चिंताएँ कम हो सकें. फिर भी, इस बिल के लागू होने से वैश्विक व्यापार और कूटनीति में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं. यह बिल अभी प्रस्ताव के चरण में है, लेकिन इसके कानून बनने की स्थिति में भारत को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है. रूस से सस्ता तेल खरीदने की रणनीति भारत की ऊर्जा जरूरतों के लिए अहम रही है, लेकिन अब इसे आर्थिक और कूटनीतिक संतुलन के साथ देखना होगा. इस बिल का भविष्य और इसके प्रभाव पर सभी की नजरें टिकी हैं.