Thailand- Cambodia Conflict: थाईलैंड और कंबोडिया के नेता आज यानी सोमवार को मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में मिलेंगे. यह बैठक दोनों देशों के बीच घातक सीमा संघर्ष को शांत करने के लिए हो रही है. हाल के दिनों में इस विवाद में 30 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. मलेशिया जो आसियान का अध्यक्ष है, युद्धविराम और हिंसा कम करने के लिए मध्यस्थता कर रहा है.
पिछले हफ्ते दोनों देशों की 817 किलोमीटर लंबी सीमा पर तनाव बढ़ गया. थाईलैंड और कंबोडिया ने एक-दूसरे पर तोपखाने से हमले करने का आरोप लगाया. कई गोले ऐतिहासिक मंदिरों के पास गिरे. इससे प्राचीन मंदिरों को नुकसान पहुंचा. कंबोडिया ने थाई सेना पर ता मोआन थॉम और प्रीह विहेअर मंदिरों को निशाना बनाने का आरोप लगाया. थाईलैंड ने जवाब में कंबोडियाई सैनिकों पर थाई नागरिकों के इलाकों पर हमले का आरोप लगाया.
थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथम वेचायाचाई बैंकॉक के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे. कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट नोम पेन्ह की ओर से वार्ता में शामिल होंगे. मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने दोनों देशों से कूटनीति के जरिए विवाद सुलझाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि हिंसा नहीं, बातचीत ही समाधान है. यह संघर्ष प्राचीन हिंदू मंदिरों, खासकर ता मोआन थॉम और प्रीह विहेअर पर स्वामित्व को लेकर है. 1962 में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने प्रीह विहेअर को कंबोडिया का हिस्सा बताया था. लेकिन 2008 में कंबोडिया के यूनेस्को विश्व धरोहर के लिए आवेदन से तनाव फिर बढ़ा. थाईलैंड ने इसका कड़ा विरोध किया.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों से युद्धविराम की अपील की थी. कंबोडिया ने इसका स्वागत किया, लेकिन थाईलैंड ने कहा कि कंबोडियाई हमले शांति प्रयासों को बाधित कर रहे हैं. कंबोडिया ने इन आरोपों का खंडन किया. पिछले हफ्ते राजनयिक बातचीत के बाद भी हिंसा दोबारा शुरू हो गई. आसियान की मध्यस्थता से इस विवाद को सुलझाने की कोशिश हो रही है. मलेशिया इस वार्ता को अहम मौका मान रहा है. अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक और क्षेत्रीय साझेदार इस बैठक के नतीजों पर नजर रखे हुए हैं. सभी को उम्मीद है कि यह वार्ता हिंसा रोकने और शांति स्थापित करने में मदद करेगी. यह बैठक दोनों देशों के लिए शांति का रास्ता खोल सकती है. लेकिन तनाव और आपसी आरोपों के बीच सफलता की राह मुश्किल है. ऐतिहासिक मंदिरों की सुरक्षा और सीमा पर शांति स्थापित करना इस वार्ता का मुख्य लक्ष्य है. दुनिया की नजर इस पर टिकी है कि क्या यह बैठक दक्षिण पूर्व एशिया में स्थिरता ला पाएगी.