अमेरिका ने 6 भारतीय कंपनियों पर लगाए प्रतिबंध, ईरानी पेट्रोलियम खरीद का आरोप

प्रतिबंधित कंपनियों में प्रमुख पेट्रोकेमिकल व्यापारी शामिल हैं. अलकेमिकल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड पर 2024 में 84 मिलियन डॉलर से अधिक के ईरानी पेट्रोकेमिकल आयात का आरोप है. ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड ने 51 मिलियन डॉलर के मेथनॉल खरीदे.

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Courtesy: Social Media

US Sanctions on Indian Companies:  अमेरिका ने छह भारतीय कंपनियों पर ईरानी पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उत्पादों की खरीद के लिए प्रतिबंध लगा दिए. अमेरिकी विदेश विभाग का कहना है कि ये कंपनियां ईरान के साथ लेनदेन कर रही थी, जो की अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन माना जाता है. अमेरिका का दावा है कि ईरान इस राजस्व का उपयोग मध्य पूर्व में अस्थिरता, आतंकवाद को बढ़ावा देने और अपने लोगों पर अत्याचार के लिए करता है.

प्रतिबंधित कंपनियों में प्रमुख पेट्रोकेमिकल व्यापारी शामिल हैं. अलकेमिकल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड लगभग 84 मिलियन डॉलर का ईरानी पेट्रोकेमिकल आयात का आरोप है. ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड ने 51 मिलियन डॉलर के मेथनॉल खरीदे. ज्यूपिटर डाई केम प्राइवेट लिमिटेड पर 49 मिलियन डॉलर के टोल्यूनि आयात का आरोप है. रमनिकलाल एस गोसालिया एंड कंपनी ने 22 मिलियन डॉलर के उत्पाद खरीदे. पर्सिस्टेंट पेट्रोकेम और कंचन पॉलिमर्स नेपॉलीएथीन उत्पाद खरीदे.

इन कंपनियों पर लगेगा प्रतिबंध

इन कंपनियों की अमेरिका में संपत्तियाँ ज़ब्त कर ली गई हैं. अमेरिकी नागरिकों और कंपनियों को इनके साथ व्यापार करने की मनाही है. जिन संस्थाओं में इन कंपनियों का 50 प्रतिशत से अधिक स्वामित्व है, उन पर भी प्रतिबंध लागू होंगे. यह कदम अमेरिका के ईरान पर 'अधिकतम दबाव' अभियान का हिस्सा है, जो ईरानी तेल और पेट्रोकेमिकल्स के वैश्विक व्यापार को रोकना चाहता है. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि ईरान तेल और पेट्रोकेमिकल निर्यात से कमाए गए पैसे का उपयोग आतंकवादी समूहों को समर्थन देने और मध्य पूर्व में अस्थिरता फैलाने के लिए करता है. अमेरिका ने इसे 'अस्थिर गतिविधियां' करार दिया. इसीलिए वह ईरान के जहाजों और मध्यस्थ कंपनियों को निशाना बना रहा है, जो तेल और पेट्रोकेमिकल्स की वैश्विक आपूर्ति में मदद करते हैं.

भारत-ईरान व्यापारिक संबंध  

भारत का ईरान के साथ लंबे समय से व्यापारिक रिश्ता रहा है. हालांकि, 2019 में अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भारत ने ईरानी तेल आयात में भारी कटौती की. फिर भी, कुछ भारतीय कंपनियाँ पेट्रोकेमिकल व्यापार में सक्रिय रहीं, जिसके कारण यह कार्रवाई हुई. भारत सरकार ने अभी तक इस मामले पर आधिकारिक बयान नहीं दिया है. ये प्रतिबंध भारत-अमेरिका संबंधों पर असर डाल सकते हैं. भारत को अपने व्यापारिक हितों और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच संतुलन बनाना होगा. प्रभावित कंपनियों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही, यह मामला भारत के ऊर्जा आयात और वैश्विक व्यापार नीतियों पर सवाल उठाता है. भविष्य में भारत को इस मुद्दे पर सावधानी से कदम उठाने होंगे.

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