Kasturi Manjal: जंगली हल्दी, जिसे कस्तूरी मंजल भी कहते हैं, सदियों से औषधीय और सौंदर्य के लिए उपयोग होती रही है. शादियों में इसका लेप चेहरे की चमक बढ़ाने के लिए लगाया जाता है. लेकिन इसके फायदों के साथ कुछ नुकसान भी हैं. आइए, जानते हैं इसके लाभ, जोखिम और सही उपयोग के बारे में.
कस्तूरी मंजल त्वचा की रंगत निखारने में मदद करती है. यह टैनिंग, मुXहासों और दाग-धब्बों को कम करती है. इसके जीवाणुरोधी गुण मुंहासों से लड़ने में प्रभावी हैं. यह त्वचा को साफ और चमकदार बनाती है. यही कारण है कि इसे कॉस्मेटिक उत्पादों में खूब इस्तेमाल किया जाता है.
जंगली हल्दी हर किसी के लिए फायदेमंद नहीं होती. संवेदनशील त्वचा वालों को इससे जलन, लालिमा या खुजली हो सकती है. हल्दी में मौजूद करक्यूमिन त्वचा पर पीले दाग छोड़ सकता है, जो कई दिनों तक रह सकता है. बार-बार उपयोग से त्वचा रूखी हो सकती है. इससे मुंहासों की समस्या बढ़ सकती है.
एक्ज़िमा या सोरायसिस जैसी त्वचा समस्याओं से जूझ रहे लोगों को हल्दी से बचना चाहिए. इसकी तीखी प्रकृति त्वचा को नुकसान पहुंचा सकती है. गर्भवती महिलाओं को भी इसका उपयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. एलर्जी वाली त्वचा वालों को भी सावधानी बरतनी चाहिए.
जंगली हल्दी का सही उपयोग जरूरी है. एक चुटकी हल्दी को दही या शहद के साथ मिलाकर पेस्ट बनाएं. इसे हफ्ते में दो बार लगाएं. उपयोग से पहले पैच टेस्ट करें. इससे त्वचा पर होने वाली प्रतिक्रिया का पता चलता है. हमेशा प्राकृतिक हल्दी पाउडर चुनें. बाजार की मिलावटी हल्दी से जलन हो सकती है.
कस्तूरी मंजल और सामान्य हल्दी अलग-अलग हैं. कस्तूरी मंजल त्वचा की देखभाल के लिए बनाई जाती है. यह दाग नहीं छोड़ती और जीवाणुरोधी गुणों से भरपूर होती है. वहीं, सामान्य हल्दी खाना पकाने और दवाओं में इस्तेमाल होती है. यह त्वचा पर पीलापन छोड़ सकती है.
कस्तूरी मंजल का रोज़ाना उपयोग त्वचा के प्रकार पर निर्भर करता है. सामान्य त्वचा वाले लोग इसे सीमित मात्रा में इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन संवेदनशील त्वचा वालों को सावधानी बरतनी चाहिए. ज़्यादा उपयोग से जलन या चकत्ते हो सकते हैं. जंगली हल्दी त्वचा के लिए वरदान हो सकती है, लेकिन सावधानी जरूरी है. इसके फायदे और नुकसान को समझें. कम मात्रा में उपयोग करें. पैच टेस्ट को नजरअंदाज न करें. अगर त्वचा में जलन या लालिमा दिखे, तो तुरंत उपयोग बंद करें.