आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में त्वचा की देखभाल एक बड़ी चुनौती बन गई है. कई लोग नियमित मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल करने के बावजूद लगातार सूखी त्वचा से जूझते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यह समस्या सिर्फ बाहरी कारकों से नहीं, बल्कि शरीर के अंदरूनी असंतुलन से भी जुड़ी हो सकती है. अगर आपकी त्वचा का सूखापन लंबे समय से बना हुआ है, तो डॉक्टर से सलाह लेकर कुछ जरूरी टेस्ट करवाना महत्वपूर्ण है.
ये टेस्ट न केवल समस्या की जड़ तक पहुंचने में मदद करेंगे, बल्कि समग्र स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाएंगे. ग्रेटर नोएडा के एनआईआईएमएस मेडिकल कॉलेज की त्वचा विशेषज्ञ डॉ. शेफाली महलावत जैसे विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसी स्थितियों में प्रारंभिक जांच से बड़े खतरे टाले जा सकते हैं.
लगातार सूखी त्वचा थायरॉइड ग्रंथि की समस्या का संकेत हो सकती है. हाइपोथायरॉइडिज्म नामक स्थिति में त्वचा मोटी, पपड़ीदार और खुरदरी हो जाती है. यह समस्या त्वचा कोशिकाओं के कम उत्पादन, तेल और पसीने की कमी से जुड़ी होती है. साथ ही, थकान, वजन बढ़ना, बालों का पतला होना और ठंड लगना जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं. इसलिए, टी3, टी4 और टीएसएच स्तर की जांच करवाना जरूरी है. विशेषज्ञ बताते हैं कि थायरॉइड फंक्शन टेस्ट से इस समस्या का समय पर पता चल सकता है, जिससे उपचार आसान हो जाता है.
सूखी त्वचा डायबिटीज़ का भी एक प्रमुख लक्षण हो सकती है. अगर इलाज न किया जाए, तो यह रक्त संचार और त्वचा की नमी पर बुरा असर डालती है. परिणामस्वरूप, खुजली, सूखापन और घावों का धीरे भरना जैसी दिक्कतें बढ़ जाती हैं. ज्यादा प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना या यूरिनरी संक्रमण के साथ सूखी त्वचा हो, तो फास्टिंग ग्लूकोज और एचबीए1सी टेस्ट करवाएं. ये जांचें डायबिटीज़ की स्थिति को स्पष्ट करती हैं और त्वचा की समस्याओं को जड़ से खत्म करने में सहायक साबित होती हैं.
विटामिन डी, बी12 और आयरन की कमी से त्वचा की प्राकृतिक बाधा कमजोर पड़ जाती है. इससे पर्यावरणीय कारकों से त्वचा अधिक प्रभावित होती है, जिसके चलते सूखापन, संवेदनशीलता और रंगत में असमानता बढ़ सकती है. थकान, पीला पड़ना या बाल झड़ना जैसे संकेतों पर आयरन टेस्ट करवाना चाहिए, क्योंकि यह कमी ऑक्सीजन की आपूर्ति घटाती है, जिससे त्वचा बेजान नजर आती है. ये टेस्ट सरल हैं और कमी की पूर्ति से त्वचा का स्वास्थ्य जल्दी सुधर सकता है.
शरीर में अच्छे और बुरे कोलेस्ट्रॉल का संतुलन त्वचा की नमी बनाए रखने के लिए जरूरी है. आवश्यक फैटी एसिड (ईएफए) की कमी से त्वचा का लिपिड बैरियर प्रभावित होता है, जिससे रूखापन बढ़ता है. लिपिड पैनल टेस्ट से इन स्तरों का पता चलता है. स्वस्थ वसा का सेवन बढ़ाकर इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है, जो त्वचा को मजबूत और चमकदार बनाता है.
अकारण खुजली या सूखापन किडनी और लिवर की खराबी से जुड़ा हो सकता है. ये अंग ठीक से काम न करें, तो विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते हैं, जिससे त्वचा प्रभावित होती है. फंक्शन टेस्ट से इनकी जांच होनी चाहिए. वहीं, एक्जिमा या डर्मेटाइटिस में एलर्जी टेस्ट से ट्रिगर करने वाले तत्वों का पता चलता है, जो फ्लेयर-अप को कम करता है.
त्वचा की बाहरी देखभाल के साथ अंदरूनी समस्याओं का इलाज जरूरी है. विशेषज्ञों का मानना है कि जड़ से समस्या हल करने से त्वचा का स्वास्थ्य स्थायी रूप से बेहतर होता है. अगर आप लगातार सूखी त्वचा से परेशान हैं, तो डॉक्टर से परामर्श लें और ये जांचें करवाएं. स्वस्थ त्वचा स्वस्थ जीवन की कुंजी है.