Janmashtami Puja: भगवान श्रीकृष्ण का पावन जन्मोत्सव, जन्माष्टमी पर पूरे देश में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाएगा. माना जाता है कि भगवान कृष्ण का जन्म अर्धरात्रि के समय हुआ था, इसलिए पूजा और आराधना देर शाम से शुरू होकर आधी रात तक चलती है. इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, भक्ति गीत गाते हैं, झूला सजाते हैं और मंदिरों में विशेष आरती करते हैं.
जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण का स्वागत पूरी श्रद्धा और प्रेम के साथ किया जाता है. भक्त पहले से ही पूजा सामग्री और भोग की व्यवस्था कर लेते हैं, ताकि मध्यरात्रि के समय बाल गोपाल का विधिवत पूजन किया जा सके. हर सामग्री का अपना आध्यात्मिक महत्व है.
बाल गोपाल के लिए झूला और नए वस्त्र
हल्दी, सफेद और लाल कपड़ा
लौंग, इत्र, फल, कपूर
मक्खन, केसर, छोटी इलायची
कलश, छोटी बांसुरी, नया आभूषण
पान, गंगा जल, सिक्के, मुकुट
कुमकुम, नारियल, मौली (लाल-पीला पवित्र धागा)
तुलसी पत्ते, चंदन का लेप, दीपक, मोर पंख
सरसों का तेल या घी, रूई की बत्ती, अगरबत्ती
जन्माष्टमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि प्रेम, विश्वास और भक्त व ईश्वर के अटूट बंधन का उत्सव है. इस दिन दीप जलाना, बाल गोपाल को झुलाना और भक्ति गीत गाना घर के वातावरण को पवित्र बनाता है. इस वर्ष जन्माष्टमी पर पूजा सामग्री और भोग की तैयारी पहले से करके आप उत्सव का आनंद और भी बढ़ा सकते हैं. जब आप कृष्ण जन्म का स्वागत करेंगे, तो आपके घर में शांति, सुख-समृद्धि और श्रीकृष्ण का आशीर्वाद अवश्य आएगा.