Chandra Kumar bose letter to PM: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत आज भी एक रहस्य है. उनकी मौत का रहस्य जानने के लिए केंद्र सरकार अब तक तीन जांच आयोग गठित कर चुकी है. उनमें से, दो आयोगों अर्थात् शाह नवाज आयोग (1956) और खोसला आयोग (1970) ने बताया कि सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु एक विमान दुर्घटना में हुई थी. अतः मुखर्जी आयोग (1999) के अनुसार उनकी मृत्यु विमान दुर्घटना में नहीं हुई. ऐसा कहा गया कि नेताजी विमान दुर्घटना में बच गये और छिप गये. नेताजी बोस की मौत को लेकर अफवाह फैलाई जा रही है. इसलिए, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस ने मांग की है कि केंद्र सरकार को भी नेताजी की मौत के संबंध में बयान देना चाहिए.
केंद्र सरकार ने स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक कर दिया है. 10 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जांचों से पता चला है कि नेताजी की मृत्यु 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में एक विमान दुर्घटना में हुई थी. आजादी के बाद नेता जी भारत लौटना चाहते थे. लेकिन, एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो जाने के कारण वह भारत नहीं लौट सके. इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि भारत सरकार उनकी मृत्यु पर अंतिम बयान जारी करे, यह मांग नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते और पश्चिम बंगाल में भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष चंद्र कुमार बोस ने की.
बोस ने कहा कि नेताजी का पार्थिव शरीर जापान के रेंकोजी में रखा गया है. ये बेहद अपमानजनक है. हम पिछले तीन वर्षों से प्रधान मंत्री को पत्र लिख रहे हैं कि स्वतंत्रता सेनानी के अवशेष भारतीय धरती को छूने चाहिए. नेताजी की बेटी अनीता बोस चाहती हैं कि उनका अंतिम संस्कार भारतीय परंपरा के अनुसार किया जाए. इसलिए नेताजी के अवशेषों को जापान से भारत वापस लाया जाना चाहिए.
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर मांग की कि इन अवशेषों को 18 अगस्त तक जापान के रेनकोजी से भारत वापस लाया जाए. भारत सरकार को इस मामले में जवाब देना चाहिए. उन्होंने भारत से आग्रह किया कि यदि सरकार को लगता है कि ये अवशेष नेताजी के नहीं हैं तो वह रेंकोजी में अवशेषों के रखरखाव में जापान को सहयोग न करे.