Maharashtra Assembly Elections 2024: महाराष्ट्र में महज कुछ दिनों में विधानसभा चुनाव होना है. जिसे लेकर सभी पार्टियों द्वारा प्रचार-प्रसार की जा रही है. इसी क्रम में आज कांग्रेस नेता राहुल गांधी महाराष्ट्र के नंदुरबार पहुंचे, जहां उन्होंने एक जनसभा को संबोधित करते हुए बीजेपी पर हमला बोला है. इस दौरान उन्होंने बीजेपी द्वारा लगाए जा रहे आरोप का भी जवाब दिया है. इस दौरान राहुल गांधी ने संविधान और आदिवासी समुदाय के अधिकारों के मुद्दे पर गंभीर सवाल उठाए.
राहुल गांधी ने कहा कि वर्तमान चुनाव एक विचारधारा की लड़ाई है. जिसमें कांग्रेस और इंडिया गठबंधन का कहना है कि देश को संविधान के अनुसार चलाना चाहिए, जबकि बीजेपी इस संविधान को कोरा बताकर उसकी अहमियत को नकारने का काम कर रही है.
संविधान के लाल रंग पर सवाल
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी जी यह संविधान खाली नहीं है. इसमें गरीबों, दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों की आवाज है. उन्होंने यह भी तंज किया कि जिन लोगों ने संविधान को पढ़ा नहीं, उन्हें क्या पता कि इसमें क्या लिखा है. राहुल गांधी ने संविधान की अहमियत पर जोर दिया और कहा कि यह केवल एक किताब नहीं है. बल्कि यह भारतीय समाज के समावेशी और समानता के सिद्धांतों का प्रतीक है.
वहीं संविधान के कवर के रंग को लेकर बीजेपी द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि वे कहते हैं कि मैं रैलियों में संविधान की लाल किताब दिखाता हूं. लेकिन मैं कहता हूं कि कवर का रंग चाहे लाल हो या किसी और रंग का इस किताब के अंदर जो लिखा है, वह ज्यादा महत्वपूर्ण है. राहुल गांधी ने कहा कि कवर के रंग से कोई फर्क नहीं पड़ता बल्कि संविधान की रक्षा के लिए हम अपनी जान देने को तैयार हैं.
आदिवासी और वनवासी का मतलब
राहुल गांधी ने आदिवासियों के मुद्दे पर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि आदिवासी का मतलब हिंदुस्तान के पहले निवासी, जल, जंगल, जमीन पर उनका अधिकार है. उन्होंने बीजेपी और आरएसएस पर आरोप लगाया कि वे आदिवासियों को वनवासी कहते हैं, जबकि असल में आदिवासी इस देश के पहले मालिक हैं. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आदिवासी और वनवासी में बड़ा फर्क है—आदिवासी का मतलब है, जल, जंगल और जमीन पर उनका अधिकार, जबकि वनवासी का मतलब है कि इन संसाधनों पर उनका कोई अधिकार नहीं.
जनगणना की मांग
इस जनसभा में राहुल गांधी ने एक बार फिर जातीय जनगणना की मांग की और कहा कि आदिवासियों के लिए जो योजनाएं बनाई जाती हैं, उनमें उनकी कितनी भागीदारी होती है? यह तब पता चलेगा जब जातीय जनगणना होगी. उन्होंने यह सवाल उठाया कि देश की संपत्ति पर आदिवासियों का अधिकार है, लेकिन उनकी कितनी भागीदारी है? साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के प्रोजेक्ट्स अन्य राज्यों में भेजे जा रहे हैं, जिसके कारण यहां के युवाओं को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने करीब 5 लाख रोजगार छीन लिए हैं. यही कारण है कि यहां के युवा बेरोजगार हैं.