Axiom-4 mission: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और उनके तीन साथी सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से पृथ्वी की ओर अपनी वापसी शुरु कर चुके हैं. यह भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण में ऐतिहासिक कदम है. शुभांशु 1984 में राकेश शर्मा के बाद ISS जाने वाले दूसरे भारतीय हैं.
शुभांशु और उनकी टीम ने ISS पर दो सप्ताह का मिशन पूरा किया. जिसके बाद आज वापसी के लिए ड्रैगन अंतरिक्ष यान में सवार हुए. नासा के अनुसार यह यान मंगलवार 15 जुलाई को कैलिफोर्निया तट पर उतरेगा. उड़ान 22 घंटे से अधिक की होगी.
Axiom-4 मिशन पिछले महीने शुरू हुआ था. यह नासा के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च हुआ. शुभांशु ने पायलट की भूमिका निभाई. मिशन में इसरो, नासा, यूरोपीय और हंगेरियन अंतरिक्ष एजेंसियों का सहयोग था. चालक दल में शुभांशु के साथ स्लावोज़ उज़्नान्स्की, टिबोर कापू और पैगी व्हिटसन शामिल थे. शुभांशु ने अंतरिक्ष में कई महत्वपूर्ण प्रयोग किए. उन्होंने कंकाल और मांसपेशियों के क्षरण पर अध्ययन किया. सूक्ष्म शैवाल उगाने का प्रयोग भी किया, जो लंबी अंतरिक्ष यात्राओं के लिए पोषण का स्रोत हो सकता है. अन्य प्रयोगों में कैंसर, पादप जीव विज्ञान और सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण में रक्त परिसंचरण शामिल थे. मानसिक स्वास्थ्य पर भी अध्ययन हुआ.
नासा ने कहा कि यह मिशन भारत और अमेरिका के बीच सहयोग का परिणाम है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धता से यह मिशन संभव हुआ. पांच संयुक्त विज्ञान जांच और दो प्रदर्शन किए गए. शुभांशु ने 28 जून को ISS से पीएम मोदी से बात की थी. शुभांशु के परिवार ने लखनऊ में उनकी वापसी पर खुशी जताई. उनके पिता शंभू दयाल शुक्ला ने कहा, "हम उनसे जल्द मिलने को उत्सुक हैं. परिवार ने बताया कि शुभांशु ने ISS से उन्हें अंतरिक्ष के नजारे दिखाए. सूर्योदय, पृथ्वी और चंद्रमा के दृश्य देखकर वे रोमांचित हुए. उनकी माँ आशा देवी ने सावन के पहले सोमवार को उनकी सुरक्षित वापसी के लिए प्रार्थना की. यह इसरो और नासा के सहयोग का प्रतीक है. अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की बढ़ती ताकत को दर्शाता है. उनकी वापसी का देश उत्साह से इंतजार कर रहा है.