'मेरा सौभाग्य कि मैं पृथ्वी के इस नजारे को देख पाया', अंतरिक्ष में पहुंच कर शुभांशु शुक्ला ने बताया अपना हाल

शुक्ला ने अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखने को एक विशेष अनुभव बताया. उन्होंने कहा कि यह सौभाग्य है कि मुझे इस नज़ारे से पृथ्वी को देखने का मौका मिला. अपने संदेश में उन्होंने भारतवासियों का समर्थन और आशीर्वाद के लिए आभार जताया. हिंदी में उन्होंने कहा कि यहां खड़ा होना आसान लगता है, लेकिन ऐसा नहीं है. मेरा सिर दर्द कर रहा है पर हम इसकी आदत डाल लेंगे.

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Shubhanshu Shukla: शुभांशु शुक्ला 26 जून, 2025 को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में प्रवेश कर इतिहास रच दिया. वह 1984 में राकेश शर्मा के बाद ISS पहुंचने वाले पहले भारतीय बने. एक्सिओम स्पेस के एक्स-4 मिशन के तहत, शुक्ला ने स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल 'ग्रेस' में 28 घंटे की यात्रा पूरी की और सुबह कैप्सूल हार्मनी मॉड्यूल से जुड़ा. नासा के एक्सपीडिशन 73 दल ने पारंपरिक समारोह में उनका स्वागत किया.

शुक्ला ने अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखने को एक विशेष अनुभव बताया. उन्होंने कहा कि यह सौभाग्य है कि मुझे इस नज़ारे से पृथ्वी को देखने का मौका मिला. अपने संदेश में उन्होंने भारतवासियों का समर्थन और आशीर्वाद के लिए आभार जताया. हिंदी में उन्होंने कहा कि यहां खड़ा होना आसान लगता है, लेकिन ऐसा नहीं है. मेरा सिर दर्द कर रहा है पर हम इसकी आदत डाल लेंगे. आइए, इस यात्रा को रोमांचक बनाएं.

तिरंगे के साथ गर्व का पल

शुक्ला ने अपने कंधे पर तिरंगा ले जाकर देश का मान बढ़ाया. उन्होंने कहा कि तिरंगा मुझे ऐसा महसूस कराता है कि पूरा देश मेरे साथ है. यह 14 दिवसीय मिशन वैज्ञानिक प्रयोगों और जन-जागरूकता गतिविधियों पर केंद्रित है. शुक्ला ने इसे भारत के लिए गर्व का क्षण बताया. स्वागत समारोह में मिशन कमांडर पैगी व्हिटसन ने शुक्ला को अंतरिक्ष यात्री नंबर 634 के रूप में सम्मानित किया. पोलैंड के स्लावोज़ उज़्नान्स्की (635) और हंगरी के टिबोर कापू (636) को भी अंतरिक्ष यात्री पिन दिए गए. व्हिटसन ने नए अंतरिक्ष यात्रियों के उत्साह की सराहना की और उनके अनुभव को अनमोल बताया.

तीन देशों का ऐतिहासिक सहयोग

एक्स-4 मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए खास है. यह 40 साल बाद इन देशों की सरकारी अंतरिक्ष उड़ान में वापसी है. पहली बार तीनों देश ISS के लिए संयुक्त मिशन पर सहयोग कर रहे हैं. चालक दल इस दौरान कई सारे वैज्ञानिक प्रयोग करेगा. इनमें जीव विज्ञान, मांसपेशियों का उत्थान, डिजिटल इंटरफ़ेस और जलीय जीवों पर शोध शामिल है. यह शोध नासा, इसरो और एक्सिओम स्पेस के सहयोग से हो रहा है. मिशन 14 दिनों तक चलेगा. शुक्ला ने कहा कि मैं ड्रैगन में था और आपसे बात कर रहा था. आगे भी बात करता रहूंगा. शुक्ला ने अपने वीडियो संदेश को "जय भारत" कहकर समाप्त किया. यह मिशन न केवल वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि भारत के लिए गर्व का प्रतीक भी है.

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