उमर अब्दुल्ला ने दी शहीदों को श्रद्धांजलि, सुरक्षा बलों पर लगाए गंभीर आरोप

उमर अब्दुल्ला ने बताया कि रविवार को शहीद दिवस पर उन्हें स्मारक तक जाने की अनुमति नहीं मिली. सुरक्षा बलों ने उनके घर के सामने बंकर लगा दिया. सोमवार को बिना किसी को बताए वे स्मारक पहुंचे. उन्होंने कहा कि मैं कार में बैठा और चुपके से चला आया.

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Courtesy: Social Media

Omar Abdullah: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला सोमवार को मज़ार-ए-शुहादा में श्रद्धांजलि देने पहुंचे. उन्होंने सुरक्षा बैरिकेड्स तोड़कर और चारदीवारी फांदकर स्मारक तक पहुंचने का साहस दिखाया. अब्दुल्ला ने सुरक्षा बलों पर उन्हें रोकने और नजरबंद करने का आरोप लगाया.

उमर अब्दुल्ला ने बताया कि रविवार को शहीद दिवस पर उन्हें स्मारक तक जाने की अनुमति नहीं मिली. सुरक्षा बलों ने उनके घर के सामने बंकर लगा दिया. सोमवार को बिना किसी को बताए वे स्मारक पहुंचे. उन्होंने कहा कि मैं कार में बैठा और चुपके से चला आया. स्मारक पर उन्होंने 1931 के शहीदों को फातिहा पढ़कर श्रद्धांजलि दी.

सुरक्षा बलों पर गंभीर आरोप

अब्दुल्ला ने सुरक्षा बलों की कार्रवाई पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों ने आज भी हमें रोकने की कोशिश की. नौहट्टा चौक पर बंकर बनाया गया. उन्होंने पूछा कि किस कानून के दायरे में रहकर ऐसा किया गया.अब्दुल्ला ने कहा कि पुलिसवाले कभी-कभी कानून भूल जाते हैं. वे हमें गुलाम समझते हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि वे केवल जनता के प्रति जवाबदेह हैं. मुख्यमंत्री ने दावा किया कि रविवार को उन्हें नजरबंद किया गया. उनके घर के बाहर देर रात तक बंकर रहा. उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कानून-व्यवस्था की बात करने वाले हमें फातिहा पढ़ने से रोकते हैं.

अब्दुल्ला ने इसे जनता के अधिकारों का हनन बताया. श्रीनगर जेल के बाहर डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह की सेना ने इसी दिन प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई थी. इसमें 22 कश्मीरी मारे गए थे. प्रदर्शनकारी अब्दुल कादिर का समर्थन कर रहे थे, जिन्हें डोगरा शासन के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जेल में डाला गया था. यह घटना कश्मीर के पहले राजनीतिक जागरण का प्रतीक है. तब से 13 जुलाई को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है.

मज़ार-ए-शुहादा की अहमियत

मज़ार-ए-शुहादा श्रीनगर के पुराने शहर में स्थित है. यह स्मारक 1931 के उन शहीदों की याद में बनाया गया है, जिन्होंने डोगरा शासन के खिलाफ आवाज उठाई थी. हर साल इस दिन कश्मीरी लोग यहां श्रद्धांजलि देने आते हैं. यह स्थान कश्मीर के इतिहास में गहरा महत्व रखता है. उमर अब्दुल्ला की इस कार्रवाई को जनता का समर्थन मिल रहा है. 

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