Eye Drops: आज की स्क्रीन-केंद्रित जीवनशैली में आंखों की समस्याएं बढ़ रही हैं. सूखापन, थकान और जलन आम हो गए हैं. लोग बिना डॉक्टर के पर्चे वाली आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि यह केवल अस्थायी राहत देता है. दीर्घकालिक समाधान के लिए आदतों में बदलाव जरूरी है.
डॉक्टर कहते हैं कि डिजिटल आई स्ट्रेन सिर्फ सूखापन नहीं है. यह कम पलक झपकने, लंबे समय तक स्क्रीन पर फोकस करने और खराब एर्गोनॉमिक्स से होता है. स्क्रीन देखते समय पलकें 60% तक कम झपकती हैं. इससे आँसू जल्दी सूख जाते हैं.
डॉक्टर बताते हैं कि आई ड्रॉप्स तुरंत राहत देती हैं, लेकिन मूल समस्या का समाधान नहीं करतीं. आंसुओं की खराब गुणवत्ता और ग्रंथियों की कमजोरी सूखेपन का कारण बनती है. बूंदें इन समस्याओं को ठीक नहीं करतीं. मरीजों को लगता है कि ड्रॉप्स काम नहीं कर रही हैं. इसका कारण गलत उपयोग या अनुचित देखभाल हो सकता है. विशेषज्ञ डिजिटल आदतों में बदलाव की सलाह देते हैं. हर 20 मिनट में 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें, स्क्रीन की चमक कम करें. नीली रोशनी वाले फिल्टर का उपयोग करें. सचेत रूप से पलकें झपकाएँ. गर्म सेंक से आंसुओं की गुणवत्ता सुधर सकती है. ये उपाय आंखों को स्वस्थ रखते हैं.
कुछ लोगों को डॉक्टर के पर्चे वाली दवाओं की जरूरत पड़ती है. परेशानी बढ़ने पर डॉक्टर की सलाह जरूर लें. नियमित आंखों की जांच से समस्याओं का जल्द पता चलता है. डॉ. शाह कहते हैं कि डिजिटल असुविधा मामूली नहीं है. यह चेतावनी है. शुरुआती कदम दीर्घकालिक नुकसान रोक सकते हैं. डॉ. शाह ने चेतावनी दी कि युवाओं में भी सूखी आँखों की समस्या बढ़ रही है. स्क्रीन का अत्यधिक उपयोग इसका कारण है. अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो आंखों को स्थायी नुकसान हो सकता है. नियमित जांच और सही देखभाल जरूरी है.आई ड्रॉप्स तब प्रभावी होती हैं, जब इन्हें सही डिजिटल आदतों के साथ जोड़ा जाए. स्क्रीन टाइम कम करें. आंखों को आराम दें. व्यक्तिगत देखभाल पर ध्यान दें. यह समग्र दृष्टिकोण आंखों को स्वस्थ रखता है.