World Population Day 2025: संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार, 2025 तक भारत की जनसंख्या 1.46 अरब तक पहुंच जाएगी. यह आंकड़ा भारत को दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनाता है. लेकिन बढ़ती जनसंख्या के साथ बुनियादी सुविधाओं पर दबाव बढ़ रहा है. शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास जैसी सुविधाएं अब चुनौती बन रही हैं. इसके साथ ही, जन्म दर में कमी भी देखी जा रही है, जो भविष्य में जनसांख्यिकीय संतुलन को प्रभावित कर सकती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, हृदय रोग दुनिया में मृत्यु का प्रमुख कारण है. दिल का दौरा और स्ट्रोक जैसी बीमारियां सबसे ज्यादा खतरनाक हैं. इस्केमिक हृदय रोग भी वैश्विक स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा है. अनुचित खान-पान, तनाव और गतिहीन जीवनशैली इसके मुख्य कारण हैं. भारत में भी हृदय रोग तेजी से बढ़ रहे हैं, खासकर शहरी क्षेत्रों में.
हृदय रोग के बाद क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) दूसरा बड़ा खतरा है. यह फेफड़ों की बीमारी सांस लेने में दिक्कत पैदा करती है. इसके अलावा, निचले श्वसन तंत्र के संक्रमण भी जानलेवा साबित हो रहे हैं. कैंसर की समस्या भी काफी तेजी से बढ़ रही है. फेफड़े, श्वासनली और ब्रोन्कस कैंसर सबसे आम हैं. WHO ने इन बीमारियों को वैश्विक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बताया है.
आज की युवा पीढ़ी मधुमेह और मोटापे का शिकार हो रही है. खराब खान-पान और गलत जीवनशैली इसके लिए जिम्मेदार हैं. फास्ट फूड, तनाव और व्यायाम की कमी ने मधुमेह को आम बना दिया है. इसके अलावा, मनोभ्रंश और अल्जाइमर जैसी बीमारियां भी बढ़ रही हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इन जोखिमों को कम किया जा सकता है.
WHO की सूची में तपेदिक (टीबी) दसवें स्थान पर है. यह बीमारी भारत में भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है. इसके अलावा, गुर्दे की बीमारियां आठवें स्थान पर हैं. प्रदूषण, अनुचित खान-पान और खराब स्वच्छता इन बीमारियों को बढ़ा रही हैं. वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने की जरूरत है ताकि इनका मुकाबला किया जा सके.