Cholesterol: देश में हृदय रोग मृत्यु का बड़ा कारण बन रहा है. यह कुल मृत्यु दर का लगभग 8 प्रतिशत हिस्सा है. उच्च एलडीएल कोलेस्ट्रॉल, जिसे 'खराब कोलेस्ट्रॉल' कहते हैं, इसके पीछे मुख्य वजह है. यह धमनियों में रुकावट पैदा करता है. इससे एथेरोस्क्लेरोसिस और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है. डॉक्टरों ने चेतावनी दी कि यह युवाओं में भी तेजी से बढ़ रहा है.
उच्च एलडीएल कोलेस्ट्रॉल कोई लक्षण नहीं दिखाता. जब तक सीने में दर्द या अन्य संकेत दिखें, तब तक नुकसान हो चुका होता है. डॉक्टर कहते हैं कि इसे लक्ष्य स्तर तक कम करना जरूरी है. यह हृदय रोगों को रोकने का पहला कदम है. भारतीयों में एलडीएल का स्तर ज्यादा और एचडीएल (अच्छा कोलेस्ट्रॉल) कम होता है. यह स्थिति खतरनाक है.
डॉक्टर सलाह देते हैं कि 18 साल की उम्र से कोलेस्ट्रॉल की जांच शुरू करें. प्रारंभिक जांच से खतरे का पता चल सकता है. स्वस्थ दिखने वाले लोगों में भी एलडीएल ज्यादा हो सकता है. उम्र, परिवार का इतिहास और मधुमेह जैसे कारक जोखिम को प्रभावित करते हैं. व्यक्तिगत उपचार योजना जरूरी है. भारत में केवल 60% मरीज ही दवाओं का पालन करते हैं. कई लोग गलत धारणाओं के कारण दवा छोड़ देते हैं. इससे एलडीएल का स्तर फिर बढ़ जाता है.
डॉक्टर चेतावनी देते हैं कि दवा में देरी या लापरवाही जोखिम बढ़ाती है. नियमित जांच और चिकित्सा सलाह जरूरी है. तनाव, खराब नींद और चयापचय असंतुलन भी एलडीएल को बढ़ाते हैं. ये पुरानी सूजन का कारण बनते हैं. इससे शरीर ज्यादा खराब कोलेस्ट्रॉल बनाता है. यह दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा बढ़ाता है. स्वस्थ जीवनशैली अपनाना जरूरी है.
जिन मरीजों पर स्टैटिन दवाएं काम करना बंद कर चुकी है, उनके लिए PCSK9 अवरोधक और siRNA थेरेपी जैसे उपचार मौजूद हैं. ये मरीजों को लक्षित एलडीएल स्तर तक पहुंचने में मदद करते हैं. डॉक्टर इनका उपयोग बढ़ा रहे हैं. उच्च एलडीएल कोलेस्ट्रॉल खतरनाक है, भले ही इसके लक्षण न दिखें. नियमित जांच और स्वस्थ जीवनशैली जरूरी है. चाहे आप जिम जाएं या सामान्य जीवन जीते हों, कोलेस्ट्रॉल की जांच करवाएं. डॉक्टर की सलाह मानें और उपचार पर डटे रहें. स्वस्थ हृदय के लिए आज से कदम उठाएं.