Supreme Court on Bihar SIR: सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में साफ किया है कि आधार कार्ड को भारतीय नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जा सकता. चुनाव आयोग के रुख को सही ठहराते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि आधार एक महत्वपूर्ण पहचान पत्र है, लेकिन यह अपने आप में किसी व्यक्ति की राष्ट्रीयता साबित नहीं करता.
इस फैसले ने बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के विवाद को और गर्म कर दिया है. न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि आधार को नागरिकता का निर्णायक प्रमाण मानने से पहले उसका उचित सत्यापन जरूरी है. उन्होंने याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल से कहा कि चुनाव आयोग का यह कहना सही है कि आधार को नागरिकता का सबूत नहीं माना जा सकता. इसके लिए सत्यापन की जरूरत है.
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत में तर्क दिया कि 1950 के बाद भारत में जन्मा हर व्यक्ति नागरिक है. लेकिन उन्होंने मौजूदा सत्यापन प्रक्रिया में खामियों का आरोप लगाया. सिब्बल ने बताया कि एक छोटे से विधानसभा क्षेत्र में 12 जीवित लोगों को मृत घोषित कर दिया गया. उन्होंने कहा कि बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे हैं. सिब्बल ने यह भी दावा किया कि इस प्रक्रिया से लाखों मतदाता मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं, खासकर वे जो जरूरी दस्तावेज जमा नहीं कर पाते.
चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने दलील दी कि मौजूदा मतदाता सूची केवल एक मसौदा है. उन्होंने स्वीकार किया कि इतने बड़े पैमाने पर सत्यापन में छोटी-मोटी गलतियां हो सकती हैं. द्विवेदी ने कहा कि आयोग सत्यापन प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने के लिए काम कर रहा है. सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला मतदाता सत्यापन और नागरिकता के मुद्दे पर नई बहस छेड़ सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से आधार के दुरुपयोग पर रोक लगेगी, लेकिन साथ ही यह सुनिश्चित करना होगा कि सही मतदाताओं को सूची से न हटाया जाए. बिहार में चल रहे विशेष पुनरीक्षण पर भी इस फैसले का गहरा असर पड़ेगा.