Delhi High Court: अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सोमवार को गोविंदानंद सरस्वती के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायलय में एक दीवानी मानहानि का मुकदमा दायर किया था जिसमें उन पर “फर्जी बाबा” होने का आरोप लगाया गया है और उन्हें कांग्रेस पार्टी का राजनीतिक समर्थन है. आज मंगलवार को कोर्ट ने सुनवाई करते हुए शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को आदेश जारी किया है.
मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने कहा कि संतों को मानहानि की चिंता नहीं करनी चाहिए. पीठ ने सुझाव दिया कि सम्मान और प्रतिष्ठा कानूनी लड़ाई से नहीं है. यह लोगों के अच्छे कर्मों से आती है.
न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के वकील से सुनवाई के दौरान कहा "ये सब गलत है. मुझे लगता है कि वह बस निराश हैं. इसमें कोई मानहानि है. आप एक संत हैं. आप इस बारे में क्यों चिंतित हैं? संतों को इन सब चीजों के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए. उन्हें बदनाम नहीं किया जा सकता है. संत अपने कर्मों के द्वारा सम्मान प्राप्त करते हैं."
अविमुक्तेश्वरानंद के वकील ने पीठ के सामने अपनी बात रखते हुए कहा कि गोविंदानंद ने कई हानिकारक बयान दिए , जिनमें उन्हें "फर्जी बाबा", "ढोंगी बाबा" और "चोर बाबा" कहना शामिल है. उन्होंने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती पर अपहरण, हिस्ट्रीशीटर, 7,000 करोड़ रुपये का सोना चुराने और साध्वियों के साथ अवैध संबंध रखने सहित कई गंभीर आरोप लगाएं हैं.
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के वकील ने आपराधिक मामले को लेकर स्पष्ट किया कि अखिलेश सरकार में एक मात्र मामला दर्ज था जो योगी सरकार में वापस ले लिया गया था. मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने कहा कि संतों को मानहानि की चिंता नहीं करनी चाहिए. पीठ ने सुझाव दिया कि सम्मान और प्रतिष्ठा कानूनी लड़ाई से नहीं है. यह लोगों के अच्छे कर्मों से आती है. अब मामले की अगली सुनवाई 29 अगस्त को है.
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