पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में अब कुछ दिनों का समय बचा है. उससे ठीक पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी जनता दल यू ने अपने ही नेताओं के खिलाफ सख्त एक्शन लिया है. जेडीयू ने अपने पार्टी के 11 प्रमुख सदस्यों को चुनाव से ठीक पहले पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है.
चुनाव से पहले अक्सर देखा जाता है कि कई नेता माहौल को देखते हुए इस पार्टी से उस पार्टी की ओर चले जाते हैं. लेकिन जेडीयू ने इस बार खुद अपने ही नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि पार्टी की ओर से इतना सख्त कदम क्यों उठाया गया है?
जेडीयू द्वारा उठाए गए इस सख्त कदम से सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है. विरोधी पार्टियां जेडीयू के इस एक्शन पर सवाल उठाते हुए इसके पीछे पार्टी के अंदर का कलह बता रहे हैं. हालांकि पार्टी की ओर से इसके पीछे की वजह बता दी गई है. जेडीयू ने अपने इस कदम को जरूरी बताते हुए निकाले गए सदस्यों पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया है.
पार्टी का कहना है कि किसी भी तरह से पार्टी के साथ धोखा स्वीकार नहीं किया जाएगा. हालांकि निकाले गए सदस्य इन आरोपों को मानने के लिए तैयार नहीं है. चुनाव से ठीक पहले पार्टी द्वारा लिए गए इस सख्त एक्शन का नतीजा अब चुनाव के बाद ही पता चल पाएगा.
जेडीयू ने चार पूर्व विधायकों और दो पूर्व एमएलसी सहित 11 सदस्यों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है. निष्कासित नेताओं में पूर्व मंत्री शैलेश कुमार, पूर्व एमएलसी संजय प्रसाद, पूर्व विधायक श्याम बहादुर सिंह, सुदर्शन कुमार, रणविजय सिंह, अमर कुमार सिंह, आसमा परवीन, लव कुमार, आशा सुमन, दिव्यांशु भारद्वाज और विवेक शुक्ला शामिल हैं. पार्टी की ओर से इन सदस्यों को निकालने के पीछे यह भी वजह बताया जा रहा है कि यह सदस्य स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रहे थे, जो की पार्टी के अनुशासन के खिलाफ था.
बिहार में 243 सीटों के लिए दो चरणों में मतदान होना है. पहला चरण 6 नवंबर को और दूसरा 11 नवंबर को होना है. इन चुनाव के नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे. चुनाव से पहले सभी पार्टी अपनी पूरी ताकत झोक रही है. मुकाबला मुख्य रूप से दो गठबंधन के बीच हो रहा है. ऐसे में जेडीयू द्वारा लिया गया ये सख्त एक्शन उनकी पार्टी के लिए कितना सही है यह आने वाले समय में ही पता चल पाएगा.