भाजपा और कांग्रेस की संविधान-आंबेडकर रैलियों के जरिए होगा आमना-सामना

नई दिल्ली: आगामी दिनों में भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) और कांग्रेस के बीच संविधान और डॉ. भीमराव आंबेडकर के योगदान पर आधारित रैलियों के माध्यम से आमना-सामना होगा. यह रैलियां देशभर में राजनीतिक माहौल को गर्म करने वाली हैं, जहां दोनों प्रमुख पार्टियां अपनी-अपनी विचारधारा और नीतियों को प्रचारित करने के लिए इस अवसर का लाभ उठाएंगी.

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Courtesy: social media

नई दिल्ली: आगामी दिनों में भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) और कांग्रेस के बीच संविधान और डॉ. भीमराव आंबेडकर के योगदान पर आधारित रैलियों के माध्यम से आमना-सामना होगा. यह रैलियां देशभर में राजनीतिक माहौल को गर्म करने वाली हैं, जहां दोनों प्रमुख पार्टियां अपनी-अपनी विचारधारा और नीतियों को प्रचारित करने के लिए इस अवसर का लाभ उठाएंगी.

भाजपा की संविधान रैली

भारतीय जनता पार्टी ने आगामी महीनों में देशभर में संविधान पर आधारित रैलियों की घोषणा की है. भाजपा नेताओं का कहना है कि ये रैलियां भारतीय संविधान और उसके संस्थापक डॉ. भीमराव आंबेडकर के प्रति पार्टी की निष्ठा और सम्मान को दर्शाने के लिए आयोजित की जा रही हैं. भाजपा का कहना है कि वे संविधान के मूल सिद्धांतों को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं और देश की जनता को इसके महत्व के बारे में जागरूक करेंगे.

भा.ज.पा. के वरिष्ठ नेता इस बात पर जोर दे रहे हैं कि डॉ. आंबेडकर ने भारतीय समाज में समानता और सामाजिक न्याय की नींव रखी, और पार्टी उनका योगदान न केवल सम्मानित करती है बल्कि उसे आगे बढ़ाने का काम भी करती है.

कांग्रेस की आंबेडकर रैली

दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी भी अपनी रैलियों के जरिए आंबेडकर के योगदान को याद करेगी, लेकिन पार्टी की रणनीति कुछ अलग हो सकती है. कांग्रेस ने घोषणा की है कि वह डॉ. आंबेडकर की विचारधारा को जीवित रखने के लिए विशेष अभियान चलाएगी. कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा आंबेडकर की विचारधारा को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है, और संविधान को कमजोर करने की कोशिश कर रही है.

कांग्रेस पार्टी के नेताओं का कहना है कि यह रैली समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक मंच बनेगी. पार्टी ने यह भी दावा किया है कि वह हमेशा से ही आंबेडकर के आदर्शों पर चलने वाली रही है, और उनकी नीतियों को हर क्षेत्र में लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है.

दोनों पार्टियों के बीच टकराव

इन रैलियों के जरिए भाजपा और कांग्रेस के बीच एक बड़ा टकराव देखने को मिल सकता है, क्योंकि दोनों ही पार्टियां डॉ. आंबेडकर के प्रति अपनी-अपनी श्रद्धा और विचारधारा को लेकर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने की स्थिति में हैं. भाजपा का कहना है कि कांग्रेस ने कभी डॉ. आंबेडकर को सही तरीके से सम्मानित नहीं किया, जबकि कांग्रेस भाजपा पर आंबेडकर के विचारों से मुंह मोड़ने का आरोप लगा रही है.

राजनीति का नया मोड़

संविधान और डॉ. आंबेडकर की रैलियों को लेकर दोनों पार्टियों की यह राजनीतिक प्रतिस्पर्धा देश की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है. आने वाले चुनावों में यह रैलियां राजनीतिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे सकती हैं और दोनों पक्षों के बीच प्रतिस्पर्धा को और तेज कर सकती हैं.

"हमारा उद्देश्य संविधान के मूल्यों और आंबेडकर के आदर्शों को हर भारतीय तक पहुंचाना है," भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा.

"हम आंबेडकर की विचारधारा को बचाने के लिए इस रैली का आयोजन कर रहे हैं, ताकि देश में उनके सिद्धांतों का पालन हो," कांग्रेस के एक नेता ने कहा.

(इस खबर को भारतवर्ष न्यूज की टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है)

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