Mumbai Train Blasts: बॉम्बे उच्च न्यायालय ने 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में अपना फैसला सुनाया है. सोमवार को 12 दोषियों को बरी कर दिया गया. हालांकि इसमें से पांच को मौत की सजा दी जा चुकी थी. इस हमले में 187 लोगों की जान गई थी और 820 लोग घायल हुए थे.
न्यायमूर्ति अनिल किलोर और श्याम सी. चांडक की खंडपीठ ने फैसला सुनाया. अदालत ने कहा कि किसी भी आरोप को साबित नहीं किया जा सका. जिसकी वजह से यह मानना मुश्किल है कि आरोपियों ने अपराध किया. इसके साथ ही सभी दोषियों की सजा रद्द कर दी गई.
मुंबई की लोकल ट्रेनों में 11 जुलाई 2006 को शाम 6:23 से 6:28 बजे के बीच धमाके हुए. पश्चिमी रेलवे लाइन की प्रथम श्रेणी के पुरुष डिब्बों को निशाना बनाया गया. हमलावरों ने भीड़भाड़ वाली ट्रेनों को चुना. माटुंगा, माहिम, बांद्रा, बोरीवली और मीरा रोड स्टेशनों के बीच ये विस्फोट हुए. सात शक्तिशाली बमों ने 187 लोगों की जान ले ली और 829 लोग घायल हुए. विस्फोट इतने जोरदार थे कि ट्रेनों की मोटी स्टील की छतें और दीवारें फट गईं. यात्री डिब्बों से बाहर गिरे. माहिम और बोरीवली स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म पर मौजूद लोग भी मारे गए. टाइमर उपकरणों से विस्फोटों को एक साथ किया गया. अभियोजन पक्ष का दावा था कि इसका मकसद दहशत और अराजकता फैलाना था.
मकोका की विशेष अदालत ने 30 सितंबर 2015 को 12 लोगों को दोषी ठहराया था. पांच को मौत की सजा मिली. इनमें कमाल अहमद, मोहम्मद फैसल, एहतेशाम सिद्दीकी, नवीद हुसैन और आसिफ खान शामिल थे. सात अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. केवल अब्दुल वाहिद को बरी किया गया था. बॉम्बे उच्च न्यायालय ने अभियोजन पक्ष के सबूतों को कमजोर पाया. अदालत ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत नहीं हैं. 12 दोषियों की रिहाई से कई सवाल उठ रहे हैं.
2006 का मुंबई ट्रेन विस्फोट देश के सबसे भयानक आतंकी हमलों में से एक था. इसने मुंबई की रफ्तार को थाम दिया था. हाईकोर्ट के इस फैसले से कई लोग हैरान हैं. यह फैसला जांच एजेंसियों के लिए बड़ा झटका है. अभियोजन पक्ष अब सुप्रीम कोर्ट में अपील की तैयारी कर सकता है. दूसरी ओर, बरी हुए लोगों के परिवारों में राहत है. यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में है और आगे की सुनवाई पर सबकी नजर रहेगी.